बेमेल (भाग 15) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

Post View 623 अब रहने दे भी दे बेटा! मुझे नहीं भाते, ये चापाकल के चोंचले! एक तो इतनी दूर तक आओ और ऊपर से चापाकल चलाओ! इतनी मेहनत कौन करता है भला?” – विजेंद्र की बात को सिरे से नकारती हुई विमला काकी ने कहा। “पर काकी, तालाब का गंदा पानी पीना जानलेवा भी … Continue reading बेमेल (भाग 15) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi