बहू तुम्हारे मायके वाले हैं या मुसीबत (भाग 3)- स्वाति जैंन : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : इस बार निधि हिम्मत जुटाकर बोली – मम्मी जी , यह सामान मुझे इतना भी बुरा नहीं लग रहा हैं !! आप एक काम किजिए सारा सामान मुझे दे दिजिए , मैं थोड़ा थोड़ा करके सारा सामान यूज कर दूंगी !!

अल्का जी बोली ओर यह सारा पुराना सामान यूज करके तु बीमार पड गई तो घर का काम कौन करेगा और तेरे इलाज में मेरे बेटे के पैसे खर्च होंगे सौ अलग !!

कोई जरूरत नहीं हैं तुम्हें ऐसा खराब सामान यूज करने की !! जाओ चुपचाप रसोई का काम करो !! आज मुझसे बिना पूछे अपने पापा को खाना खिला दिया फिर भी मैं कुछ बोली नहीं !!

 तेरे मायके वाले नहीं मुसीबत हैं यह लोग मेरे लिए कहे देती हुं !! इस बार तो कुछ ना बोली मगर अगली बार चुप ना रहुंगी समझी !! यह लोग जब भी यहां आते हैं मुझे यही लगता हैं यह मुसीबत हमारे घर क्यों चली आती हैं ??

निधि हर बार सास के मुंह से अपने मायके वालों के लिए मुसीबत शब्द सुनती तो उसे बहुत बुरा लगता, उतने में उसे विवान की सारी बातें याद आ गई कि वह नहीं चाहता घर में कोई क्लेश हो या तुम सास बहु में कोई झगड़ा हो !!

निधि बात का बतंगड बनाए बिना चुप रह जाती हैं मगर इस बार निधि ठान लेती हैं कि वह देखकर रहेगी कि सासू मां यह सारा सामान बाई को कब देती हैं ??

दो तीन दिन गुजर जाने पर भी जब निधि देखती हैं कि सास ने वह सामान किसी को नहीं दिया तो वह सास की अनुपस्थिति में उनके कमरे में जाकर देखती हैं तो दंग रह जाती हैं !! उसमें से आधा सामान उड चुका था मतलब वह समझ चुकी थी कि उसकी सास और ननद उसके मायके से आया हुआ सामान अकेले अकेले चंपत कर जाते थे और दिखाने को सिर्फ निधि के मायके वालों के लाए सामान में इतना सारा नुक्स निकालते थे !!

जब निधि ने सास अलका जी से इस विषय पर बात की तो अलका जी बोली हाय !! हमारे घर में क्या खाने की कमी हैं जो तेरे मायके से आया हुआ सामान खाएंगे हम !!

उसमें से आधा सामान मैं उस दिन मंदिर के बाहर बैठे भिखारियों को दे आई थी और आधा सामान कल देनेवाली हुं !!

अलका जी ने फिर बात को घूमा दिया था !! जबकि निधि ने उन्हें वह सामान बाहर ले जाते हुए भी नहीं देखा था !! निधि अब समझ चुकी थी उसकी सास झूठी और पाखंडी हैं इसलिए उनसे बहस करना मतलब अपना मुंह खराब करना हैं !!

निधि ने विवान को भी कुछ नहीं बताया क्योंकि विवान को अपनी मां और बहन पर बहुत विश्वास था और निधि विवान को यह सब बताकर उसका विश्वास तोड़ना नहीं चाहती थी !!

निधि ने सब कुछ भगवान पर छोड दिया और वह पहले की तरह अपना घर संभालने में लग गई !!

एक रोज राशि का भी रिश्ता तय हो गया और अलका जी ने खूब धुमधाम से अपनी बेटी की शादी की !!

दोनों मां बेटी फोन पर रोजाना बात करते !!

राशि अपनी मां को अपने ससुराल की सारी बातें बताती !! राशि को भी अपने ससुराल में उन्हीं चुनौतियों का सामना करना पड रहा था जिन चुनौतियों से निधि यहां गुजरी थी !!

अब अलका जी को अपनी बेटी की बहुत चिंता होने लगी थी !! अलका जी अब बेटी के मां के किरदार में आ गई थी वहीं अलका जी जिन्होने सास के किरदार में अपनी बहू को खुब परेशान किया था अब मां के किरदार में वह हमेशा चिंता में रहती और यहां कहती रहती हाय !! मेरी बेटी कितनी दुःखी हो गई हैं वहां !! घर के सारे काम काज  अकेले करती हैं , सबका ध्यान रखती हैं , उसके सास ससुर को बराबर समय पर खाना दे देती हैं फिर भी उसकी सास और ननद उसके हर काम में नुक्स निकालते हैं !! उनको मेरी बेटी की अच्छाई दिखती नहीं हैं क्या ??

यहां निधि उनको ऐसे देखकर सोचती कि आपने और आपकी बेटी ने मेरे साथ भी तो यही किया था तब आप लोगों को भी तो मेरी अच्छाई कहां दिखाई देती थी !!

थोड़े दिन बाद अलका जी को खबर मिली कि राशि की तबीयत खराब हो गई हैं !! वह तुरंत राशि से मिलने उसके ससुराल जाने निकल गई !!

बेटी के ससुराल पहली बार जा रही थी इसलिए रास्ते में से उन्होने फल और मिठाईयां ले ली  और राशि से मिलने उसके ससुराल पहुंची !!

राशि भी मां को देखकर खुश हुई और उसकी तबीयत भी पहले से कुछ बेहतर थी !!

रसोई में जाकर राशि अपनी मां के लिए चाय नाश्ता ले आई , उतने में उसे उसकी सास विमला जी की जोर से चिल्लाने की आवाज आई !!

राशि दौड़कर रसोई में गई तो विमला जी बोली बहू यह कैसे सडे गले फल और बांसी मिठाईयां लाई हैं तुम्हारी मां ?? उनसे कह दो आइंदा इस घर में कभी ऐसा सामान ना लाए !!

हमारे यहां खाने की कुछ कमी नहीं हैं !! हमारी तो कामवाली बाई भी यह सामान नहीं ले जाएगी और गलती से उसे दे दिया और वह बीमार पड गई तो घर का काम कौन करेगा और उपर से हमें कोसेगी वह अलग और बोलेगी मालकिन !! ऐसा सड़ा गला सामान आपने मुझे क्यों दिया ?? हम गरीब जरूर हैं मगर अच्छा खाते हैं इसलिए आइंदा से अपनी मां को कह देना कि यहां कुछ भी सामान लाने की कोई जरूरत नहीं !! तुम्हारे मायके वाले ना हुए मुसीबत की टोकरी हो गई यह तो !!

विमला जी की आवाज बाहर हॉल में बैठी अलका जी के कानों में साफ साफ सुनाई दे रही थी , उनकी आंखों से आंसू बह निकले !!

तुरंत उन्होने अपने आंसू पोंछे कि कोई देख ना ले उतने में बेटी की सास विमला जी सारा सामान लेकर बाहर आई और अलका जी को वापस पकड़ाते हुए बोली – अलका जी आइंदा से हमारे यहां ऐसा सामान मत लाईएगा , गलती से बच्चों ने चख भी लिया तो वे बीमार पड जाएंगे , हमारे यहां खाने की कोई कमी नहीं हैं !!

राशि भी अपनी मां का अपमान अपनी आंखों से देख रही थी मगर कुछ बोल नहीं पाई !!

अलका जी अपमानित होकर सारा सामान हाथ में लिए हुए थके पैरों से बाहर निकली और सोचने लगी मेरी बहू निधि के मायके वालों को खुब अपमानित किया हैं मैंने मगर हम लोग तो बहू और उसके मायके वालों को अपमानित कर उसके मायके से आया सारा सामान खुद चंपत कर जाते थे मगर यहां तो सचमुच मुझे सारा सामान वापस पकड़ा दिया गया और ऐसा अपमानित किया गया कि दोबारा यहां आने की वापस इच्छा ही खत्म हो गई और अपने लिए मुसीबत शब्द सुनकर उन्हें अपने दवारा बोले गए सारे शब्द याद आ गए !!

खैर बेटी का ससुराल था इसलिए अलका जी को झुकना ही था !!

अब बेटी के ससुराल खाली हाथ तो जा नही सकते इसलिए कुछ ना कुछ लेकर जाना होता हैं मगर यहां तो पहली बार में ही इज्जत की धर्जिया उड गई !!

उस दिन उन्होने कसम खा ली कि अब वे बेटी के ससुराल वापस कभी नहीं आएंगी !!

उन्होने जो भी कुकर्म किए थे घूम फिरकर सब कुछ वापस उन्हीं पर आ पडा था !!

शायद इसलिए ही कहते हैं किसी को अपमानित ना करें , किसी को छोटा ना दिखाए क्योंकि वक्त का पहिया ऐसा घूमता हैं कि सब कुछ घूमकर वापस अपने तक आ ही जाता हैं !!

आज अलका जी निधि और उसके मायके वालो का दर्द बखूबी महसूस कर पा रही थी और उन्होंने अब कान पकड लिए थे कि अब वह कभी भी बहू और उसके मायके वालों का अपमान नहीं करेगी , आखिर बहू भी किसी की बेटी हैं !! भले उसे बेटी जैसा प्यार ना कर पाई मगर बहू वाला सम्मान जरूर दूंगी !!

अलका जी थके पैरों से घर आकर सोफे पर धम्म से बैठ गई !! बिल्कुल उदास और निढाल सी !!

निधि तुरंत उनके लिए गर्मागर्म चाय बनाकर ले आई !!

अलका जी बोली निधि आज तुम्हें सताने का फल मिल गया हैं मुझे !! जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया वैसा ही हो रहा हैं राशि के साथ बोलकर रोने लगी !!

निधि ने उन्हें सांत्वना दी और चुप कराया क्योंकि आज वह एक हारी हुई सास नहीं हारी हुई मां को देख रही थी !!

दोस्तों आपको ये कहानी कैसी लगी थी पर अपनी प्रतिक्रिया जरुर दे तथा ऐसी रचनाएं पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

स्वाति जैंन

7 thoughts on “बहू तुम्हारे मायके वाले हैं या मुसीबत (भाग 3)- स्वाति जैंन : Moral Stories in Hindi”

  1. जैसे को तैसा मिल गया। कभी-कभी नहीं भी होता है।

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  2. Meri saas bhi sasural me mere parents k aane par Aisa he krti hai bohat ladai krti unko bohat ulta seedha bolti galiyan deti hai Isliye chaha kr bhi Apne parents ko nhi Bula sakti sasural me

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  3. Kahani bhut achhi thi
    But reality mein koi bhi saas apni galti nhi maanti air bahu ke aage is tarah se accept kr le ki usne apni bahu ke saath galat behaviour kiya h

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  4. kahani to achhi hai lekin ye 20 saal purani ho sakti hai, present main to bahu he saas sasur par bhari pad rahi hain, vo unki sewa to karna he nahi chahti hai, tabhi to vriddhashram badh rahe hain.

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  5. kahani 30 saal purani ho sakti hai, present main to bahu he saas sasur par bhari pad rahi hain, vo unki sewa to karna he nahi chahti hai, tabhi to vriddhashram badh rahe hain.

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