Post View 209 पूरे पाँच भाई-बहनों एवं बाबा-दादी से भरा-पुरा संयुक्त परिवार था हमारा। पिताजी मुख्य सचिवालय में कलास टू एम्प्लाइ थे। मैंने जब से होश संभाला। हमेशा ही अपने पिता को यह कहते सुना , “जिसकी जैसी किस्मत उसके अनुरूप ही उसका स्वभाव भी ढ़ल जाता है”। जब कि मेरा मानना था, “स्वभाव व्यक्ति … Continue reading “बदलता स्वभाव – सीमा वर्मा”
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