बचपन की गलियां—कहानी—देवेन्द्र कुमार

Post View 160 तीनों सखियाँ—रचना,जया और रंजना सोसाइटी के पार्क में बैठीं धूप का आनन्द ले रही थीं। छुट्टी का दिन, सर्दियों का मौसम—बच्चे घास पर उछल- कूद करते हुए खिलखिला रहे थे। हिरणों की तरह दौड़ते बच्चों को देख कर तीनों मुस्करा उठीं। रचना ने कहा—‘ इन खिलंदड बच्चों को देख कर अपना बचपन … Continue reading बचपन की गलियां—कहानी—देवेन्द्र कुमार