समय का फेर – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

रमा का परिवार उसे हमेशा ही मनहूस कहता था। उसके ताने सुनने का सिलसिला बचपन से ही शुरू हो गया था, जब उसकी ताई दांत पीसकर कहती, “यह कुलच्छिनी जन्म लेते ही मां को खा गई, फिर बाप को भी निगल गई। इसके साये से भी दूर रहना चाहिए।” इस तरह की बातें सुन-सुनकर रमा … Read more

लक्ष्मी – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

जब शांत मन से यादों के समंदर में गोते लगाओ तब अचानक कोई नायाब सीपी या मोती क्रमवार आंखों के समक्ष उपस्थित हो जाता है।     संभवतः भूली-बिसरी यादें इसी को कहते हैं। जब चौबीस घंटे के हवाई यात्रा के पश्चात मैं  सनफ्रांसिस्को हवाई अड्डा पहुंच कस्टम माइग्रेसन से निपट बाहर निकली। बेटा लेने आया था। … Read more

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