अपने आत्म-सम्मान की रक्षा उसके खुद के हाथ में है – डॉ. पारुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सुहानी, जो पढ़ाई में बहुत अच्छी थी और उसे नौकरी करने का भी शौक था, शादी के बाद जब ससुराल आई, तो उसे अपने ससुराल में यह समझने में देर नहीं लगी कि यहां के लोग पढ़ी-लिखी बहू को आसानी से अपनाने वाले नहीं हैं। ससुराल में वह पहली बहू थी जिसने न केवल उच्च … Read more

उधार – डॉ. पारुल अग्रवाल, : Moral Stories in Hindi

दिव्या और नीतू बचपन की सहेलियाँ नहीं थीं, परंतु एक ही सोसाइटी में रहने और हर रोज मिलने से उनमें घनिष्ठता बन गई थी। दोनों की उम्र में थोड़ी बहुत समानता थी और उनकी एक जैसी सामाजिक परिस्थितियों ने भी उन्हें आपस में जोड़ दिया था। दिव्या एक मध्यम वर्गीय परिवार से थी और अपने … Read more

error: Content is Copyright protected !!