अपने तो अपने होते हैं – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Post View 78  “पारुल! तुम्हें पचास बार मना किया है न कि पड़ोस की औरतों की पंचायत में मत बैठा करो पर तुम्हें समझ नहीं आता। न तो तुम्हें घर की ज़िम्मेदारियों से कोई मतलब है और न ही बच्चों की पढ़ाई से। जिम्मेदारियों का मतलब सिर्फ भोजन बनाना और कपड़े धोना ही नहीं होता। … Continue reading अपने तो अपने होते हैं – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi