अपनत्व तो अनमोल है – नेमीचन्द गहलोत : Moral Stories in Hindi

Post View 935  निमन्त्रण पत्रों के वितरण का कार्य चल रहा था । परमानन्द ने सुमित को कहा ” ध्यान रखना, कुटुबं, परिवार और रिश्तेदारों में से किसी को कार्ड देना भूल मत जाना ।”                   सुमित की माँ सुलक्षणा अलमारी खोलते हुए बोली “हाँ, बाद में कोई यह शिकायत नहीं करें कि हमें याद नहीं … Continue reading अपनत्व तो अनमोल है – नेमीचन्द गहलोत : Moral Stories in Hindi