Post View 43,079 ” देख छोटी, तू अंश के सामने अपनी मनहूस सकल लेकर मत आ जाना।पूरे दो बरस बाद मेरा लाल आ रहा है, तेरा क्या भरोसा, कहीं टोटका-मंतर कर…” जेठानी सुमित्रा के तीखे शब्द और आग उगलने वाली नज़रें जानकी अब बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने कमरे के सूनी पलंग पर जाकर … Continue reading अनकहा दर्द — विभा गुप्ता
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