अमर प्रेम – रंजना बरियार

Post View 852 हरी मख़मली घास की शीतल छुअन निर्मला जी के तन मन को  शीतल कर रही है। तपती दोपहरी, उसपर से बत्ती गुल, किसी तरह से धीमी गति सें पंखे का घूमना.. बड़ी मुश्किल से दोपहर कट पाई थी..अब सूरज का अस्ताचल हुआ है..माली अभी-अभी लॉन में पानी पटा कर गया है, निर्मला … Continue reading अमर प्रेम – रंजना बरियार