अकेली नहीं अब वह! – प्रीति आनंद

Post View 6,185 **************** “क्या लक्ष्मी, कब तक इस नाशुकरे का पेट भरोगी? निकालो घर से! तुम्हारी ज़िम्मेदारी थोड़ी है ये!” माँ की बात सुन लक्ष्मी चौंक गई। भुवन के लिए ऐसा कैसे बोल सकती हैं माँ? भुवन…. उसका देवर …. जो बेटे के समान है! आठ वर्ष पहले जब उसके सास-ससुर की ऐक्सिडेंट में … Continue reading अकेली नहीं अब वह! – प्रीति आनंद