अब घर की “दूसरी बेटी” के साथ अन्याय नहीं होगा !! – मीनू झा 

Post View 228 मेरे लिए रूचि को संभालना बहुत मुश्किल हो रहा था…एक तो जो चल रहा था उसकी चिंता और घबराहट दूसरी “रूचि” और उसकी उटपटांग हरकतें। मैं समझ नहीं पा रही थी कि क्या करूं क्या नहीं।कभी रोने का मन करता तो कभी चिल्लाने का।कभी मानवीयता हावी होती तो कभी खिजलाहट। दरअसल मैं … Continue reading अब घर की “दूसरी बेटी” के साथ अन्याय नहीं होगा !! – मीनू झा