आत्मसम्मान (भाग 2) – निभा राजीव “निर्वी”
Post View 3,726 ऋषि ने मुस्कुराते हुए कहा-“जी बिल्कुल बंदे का फोन हाजिर है।” फिर उसने अपने फोन से उसके लिए कैब बुक कर दी। और उसके साथ ही कैब के पहुंचने की प्रतीक्षा करने लगा। वह युवती बिल्कुल चुप थी और सामने शून्य में देखती जा रही थी। ऋषि ने कहा- “जी मुस्कुराने … Continue reading आत्मसम्मान (भाग 2) – निभा राजीव “निर्वी”
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed