“भाभी आप इतना सब कुछ कैसे सह लेती हैं?”
ये शब्द थे मनोज के जो आज अपनी भाभी ज्योति से यह कहने को मजबूर हो पड़ा था ।
ज्योति की शादी मनोज के बड़े भाई अशोक से ५ साल पूर्व हुई थी ।अशोक एक काबिल व्यवसायी था और उसका पूरा रुझान अपने व्यवसाय पे था अभी ।मनोज अभी पढ़ रहा था और अपनी भाभी ज्योति से बहुत लगाव रखता था क्योंकि ज्योति थी भी ऐसी हंसमुख और मिलनसार।
उसने शादी होते ही इस परिवार को दिल से अपना लिया था और मनोज को तो अपना छोटा भाई मान बहुत लाड़ लड़ाती थी पर ज्योति की सास शांति जी अभी तक उसे दिल से अपना नहीं पायी थी । उनके बहू को लेके कुछ पैमाने थे जिनपे खड़ा उतरना बहुत जरूरी रहता था ज्योति के लिए ।
उन्हें दो बेटे पैदा करने का बहुत दंभ था जिसे वो हमेशा जताती रहती थी की अरे हम बेटा वाले हैं ऐसे ही रहेंगे ना ! उसे अपनी सास का व्यवहार अजीब तो लगता था पर उनके कड़े स्वभाव से डर भी वो चुप ही रहती थी । वो एक पढ़ी लिखी मेधावी लड़की थी जिसके जीवन का उद्येष्य गृहणी बनना नहीं था वो बहुत कुछ करना चाहती थी परंतु शादी होते ही अपनी सास के कठोर स्वभाव को देख के वो अपने आपको उनके अनुसार ढालने की पूरी कोशिश कर रही थी। परंतु उससे हमेशा कोई ना कोई गलती हो ही जाती थी
जिसपे शांति जी पूरे दिन उसे डाँट पिलाती थी । जैसे की सुबह उठने में थोड़ी देर हो जाना या खाना ठीक से ना बनना या अपने रूम में जाके आराम करना शांति जी को इन सभी चीजों से समस्या थी । उनके अनुसार एक बहू को पूरे दिन चुस्त दुरुस्त रह के सिर्फ़ काम करना चाहिए नहीं तो उसे अच्छे से लताड़ लगाना बहुत जरूरी होता है ! एक दिन भी अगर नजरअंदाज कर दिया बहु की गलती को तो उसके बिगड़ने के पूरे आसार रहेंगे जो वो होने नहीं देंगी ।
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ज्योति बेचारी हमेशा ही उनसे डाँट खा ही जाती थी और शांति जी जब तक उसे रुला ना दे तब तक रुकने का नाम नहीं लेती थी यहाँ तक की डाँट खाने के बाद ज्योति से हर समय मुस्कुराता हुआ चेहरा रखने की अपेक्षा भी की जाती थी ।की “अरे ये क्या मुँह क्यों बना रखी हो ? डाँट दिया तो क्या हो गया डाँट नहीं सकते क्या ? खुश रहो “ कट के रह जाती थी वो की डाँट भी खाओ और ऐसे दिखाओ की जैसे कुछ ना हुआ हो ।
इसी तरह सामंजस्य बिठाते बिठाते ५ साल बीत चुके थे और ज्योति एक बेटे की माँ भी बन चुकी थी परंतु उसकी सास का स्वभाव अभी भी वैसा ही था ।
उनकी अब ज्योति से मुख्य परेशानी ये थी की वो शॉपिंग बहुत करती है और ऑनलाइन शॉपिंग इसकी सबसे बड़ी जड़ है ! जब भी ज्योति का पार्सल आता शांति जी का कलेश शुरू हो जाता । उनके अनुसार ज्योति सिर्फ़ और सिर्फ़ उनके बेटे के पैसे बर्बाद करना चाहती है ।
एक बार तो उन्होंने दिन में २ बार पार्सल आ जाने पे ज्योति को इतना डाँटा था कुरियर बॉय के सामने ही की ज्योति रो पड़ी थी अशोक के आगे की क्या मेरा कोई हक़ नहीं की मैं अपने मन से जी सकू इस घर में ? मेरा पार्सल खोला जाता है और मुझसे सवाल किया जाता है की ये क्यों मंगवाया वो क्यों मंगवाया ? मम्मी जी बोलती हैं की बाप के घर में कभी ये सब किया नहीं होता है और शादी होते ही ससुराल के पैसे उड़ाने लग जाती है आजकल की लड़कियां ।
पर अशोक ने उसे धैर्य रखने और चुप रहने की सलाह दी और ऑफिस चला गया ।ज्योति समझ गई थी की अशोक उसके लिए आवाज नहीं उठाने वाला । मनोज ये सब देख के भी कुछ कर नहीं सकता था और मन मसोस के रह जाता था ।
ऐसे ही दिन बीत रहे थे और ज्योति अपने सास ससुर के अनुसार चलने की काफ़ी कोशिश कर रही थी ।वो बातो को ज़्यादा दिल पे नहीं लेती थी और भूल के आगे बढ़ जाती थी पर आज की घटना ने हद ही कर दी । ज्योति ने अपने बेटे के लिए कुछ जरूरत का समान ऑनलाइन ऑर्डर किया था जिसके आते ही उसकी सास ने आगबबूला होके अंट संट बोलना शुरू कर दिया की ये लड़की मेरे बेटे की मेहनत की कमाई उड़ा देगी सब । इतना समझाया इसको की शॉपिंग मत कर लेकिन ये मानती ही नहीं लगाओ
इसके बाप को फ़ोन !!! और उसके आदरणीय ससुर जी ने उसके पापा को फ़ोन लगा भी दिया और ज्योति की काफ़ी शिकायत की ।उनसे कहा गया की अपनी बेटी को खर्चो पे लगाम लगाना सिखाइए । ज्योति के पापा इतना दुखी हुए की वो ज्योति से बोले की बेटा मेरे से पैसे माँग लेना आगे से लेकिन ऐसी बेइज्जती मत होने देना । मुझे नहीं पता था की तेरे ससुराल वाले इतने तंगदिंल है ।
ज्योति रो पड़ी थी आज और चुपचाप अपने रूम में चली गई । उसका सिर फट रहा था और दिल रो रहा था अपनी हालत पे । तभी मनोज उसके पास आके बरस पड़ा की भाभी आप इतना सब कुछ कैसे सह लेती हो ? आवाज उठाओ और कोई नहीं उठाएगा आपके लिए । अपना सम्मान ख़ुद बनाना पड़ेगा
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आपको और अपने हक़ के लिए भी ख़ुद लड़ना पड़ेगा आपको । ये यूँ रोने से और चुपचाप बर्दास्त कर लेने से कोई बेस्ट बहू का गोल्ड मेडल नहीं मिलेगा आपको । बाक़ी आपकी मर्जी । आज के दस साल बाद जब आपके पास सिर्फ़ शिकायतो का अंबार होगा और आप अपनी मुसकुराहट खो चुकी होंगी तब कोई नहीं आयेगा आपको वापस पहले जैसा बनाने । अपनी परवाह आपको ख़ुद ही करनी होगी और कोई नहीं करेगा समझी आप! ये कह के मनोज चला गया वहाँ से और ज्योति को लंबी सोच में छोड़ गया ।
मनोज के शब्दों का असर था या शांति जी का आज सीमा पर कर जाना था पर अब ज्योति निर्णय ले चुकी थी अपने भविष्य के लिए !
उसने पहला काम अब वापस घर बैठे फ्रीलान्स काम ढूँढने का किया जो अभी वो आराम से कर सकती थी दूसरा उसने अपने लिए जीना शुरू किया । अब उसे अपनी सास से वाहवाही पाने का कोई शौक नहीं रहा था ।नहीं बनना अच्छी बहू जैसे है ठीक हैं ! पहले ख़ुद को खुश रखना और अपना आत्मसम्मान बना के रखना बहुत जरूरी है ये उसे समझ आ गया था ।
अगली बार जब वापस उसकी सास ने उसे खर्चो को
लेके ताना देना शुरू किया तो उसने बहुत ही शांत शब्दों में अपनी सास को कहा की मम्मी जी आप भी इस घर की बहू हो जैसे मैं हूँ । आप भी नाना जी के पैसे नहीं खर्च कर रही और ससुरजी के पैसों पे ही राज कर रही है । क्योंकि पति के पैसों पे स्त्री का पूरा अधिकार होता है । मैं भी आज अगर अपने पति के पैसे ख़ुद पे या अपने बच्चे पे खर्च कर रही हूँ तो इसके लिए मुझे आपकी अनुमति की ज़रूरत नहीं है । जैसे आपका अपने पति के पैसों पे पूरा हक़ है वैसे ही मेरा भी अपने पति के पैसों पे उतना ही हक़ है ।
वो आपके पुत्र है तो मेरे पति भी है ।मेरे पिता को हर बात में घसीटने का आपको कोई हक नहीं है ।आपको क्या लगता है अपने पिता के घर में कुछ देखा नहीं था क्या मैंने जो आपके पैसे देख के पागल ही गई हूँ मैं ? आप लोग बेटे की शादी कर बहू तो ले आते हो पर उसे अपना गुलाम समझ लेते हो ।
मुझे भी मेरे मम्मी पापा ने उतने ही लाड़ प्यार से पाला है जैसे आपने पाला होगा अपने बेटो को । बहू लाए है आप कोई नौकर नहीं जिसे ठोक पिट के ठीक करने का आपने बीड़ा उठाया हुआ है। बहुत सम्मान किया आपका मैंने पर सम्मान पाने के लिए दूसरो को भी सम्मान देना पड़ता है शायद ये बात आप समझ ले तो अच्छा रहेगा हमारे भविष्य के लिए ये कह के वो चली गई वहाँ से ।
शांति जी अवाक बैठी थी आज । बात उन्हें बहुत चुभी थी पर आज बहु ने जो बोला था वो सत्य है ये बात भी उन्हें एहसास हो रहा था । बहु के कड़वे सच ने उन्हें धरातल पे ला दिया था ।
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उधर आज ज्योति बहुत ही इत्मीनान से अपना पार्सल खोल रही थी और मनोज का मन ही मन शुक्रिया अदा कर रही थी जिसने उसके भीतर हिम्मत का संचार किया था ।
लेखिका
नीतू बंसल
#“भाभी,आप इतना सब कुछ कैसे सह लेती हैं ?