अपनी करनी पार उतरनी – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

मैं अपने सास, ससुर , पति,और दो बेटियों के साथ रहती थी | मेरी दोस्त कोमल का फोन आया |बहुत देर तक उससे बात हुई |

  उसकी बाते दिमाग में चलने लगी | काश मैं भी सिर्फ अपने पति और बेटियों के साथ रहती |अपनी मर्जी से उठती , खूब घूमती | खैर मेरी ऐसी किस्मत कहा ?

कुछ दिनों  बाद ही पति का  ट्रान्सफर दूसरे शहर में हो गया |

बहुत खुश थी मैं | दोनो बेटियों,और हमको लेके मेरे पति दूसरे शहर आ गए | फिर क्या था ,कुछ ही दिनो में आटे, दाल का भाव पता चल गया |

पति पूरे दिन ऑफिस रहते | हमको ही घर का , बाहर का ,सब  काम करना पड़ता था |और तो और, कही भी घर से बाहर निकलो तो,  बेटियों को भी साथ ले जाना पड़ता |

क्यों की अकेले घर में  नही छोड़  सकती थी | अब सास ससुर की याद आने लगी | उनके पास रहती तो इतनी परेशानी नही होती |

मन ही मन सोचा “अपनी करनी पार उतरनी” अपने किए का फल ही भोग रही हू |काश मैं फिर से अपने पूरे परिवार के साथ रहती | 

रंजीता पाण्डेय

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