मैं अपने सास, ससुर , पति,और दो बेटियों के साथ रहती थी | मेरी दोस्त कोमल का फोन आया |बहुत देर तक उससे बात हुई |
उसकी बाते दिमाग में चलने लगी | काश मैं भी सिर्फ अपने पति और बेटियों के साथ रहती |अपनी मर्जी से उठती , खूब घूमती | खैर मेरी ऐसी किस्मत कहा ?
कुछ दिनों बाद ही पति का ट्रान्सफर दूसरे शहर में हो गया |
बहुत खुश थी मैं | दोनो बेटियों,और हमको लेके मेरे पति दूसरे शहर आ गए | फिर क्या था ,कुछ ही दिनो में आटे, दाल का भाव पता चल गया |
पति पूरे दिन ऑफिस रहते | हमको ही घर का , बाहर का ,सब काम करना पड़ता था |और तो और, कही भी घर से बाहर निकलो तो, बेटियों को भी साथ ले जाना पड़ता |
क्यों की अकेले घर में नही छोड़ सकती थी | अब सास ससुर की याद आने लगी | उनके पास रहती तो इतनी परेशानी नही होती |
मन ही मन सोचा “अपनी करनी पार उतरनी” अपने किए का फल ही भोग रही हू |काश मैं फिर से अपने पूरे परिवार के साथ रहती |
रंजीता पाण्डेय