बीमार मैं नहीं आप हैं – कविता भड़ाना : Moral Stories in Hindi

रिया की जिंदगी में एक समय ऐसा आया जब उसके पति का अचानक निधन हो गया। इस हादसे ने उसे अंदर से पूरी तरह तोड़ दिया था। वह हमेशा हंसमुख और आत्मविश्वासी रही थी, लेकिन पति के जाने के बाद उस पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। अपने पति के बिना जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश में रिया ने खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत थका हुआ पाया। उसकी हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही थी और डिप्रेशन के गहरे साए ने उसे जकड़ लिया था। किसी के कहने पर उसने एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉक्टर मनीष से परामर्श लेने का निश्चय किया, जो शहर में मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के तौर पर जाने जाते थे।

डॉक्टर मनीष के बारे में लोगों से सुना था कि उनके इलाज से बहुत से मरीज ठीक हो चुके थे। इसलिए रिया ने उम्मीद के साथ उनके क्लिनिक का रुख किया। वह सोचती थी कि शायद उनकी मदद से वह फिर से खुद को संभाल पाएगी और जीवन को नई शुरुआत दे पाएगी। पहले सत्र में रिया ने डॉक्टर मनीष के सामने अपनी सारी बातें साझा कीं। उसने अपने दर्द, अकेलेपन और मानसिक कष्ट को डॉक्टर के सामने बयां किया। डॉक्टर ने पहली बार में काफी सहानुभूतिपूर्ण तरीके से उसकी बातें सुनी और उसे विश्वास दिलाया कि जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। यह सुनकर रिया को थोड़ी राहत महसूस हुई और उसे लगा कि शायद वह वाकई सही जगह आई है।

लेकिन दूसरे सत्र में कुछ अजीब घटित हुआ। जैसे ही रिया ने अपनी समस्याएं साझा करनी शुरू कीं, डॉक्टर मनीष का व्यवहार थोड़ा बदलता हुआ सा लगा। पहले तो वह उसकी बातें समझने के बहाने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे सांत्वना देने लगे। रिया ने इसे सामान्य समझा और बर्दाश्त किया, क्योंकि उसे लगा कि शायद यह उनके उपचार का हिस्सा है। लेकिन जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, डॉक्टर के छूने का तरीका और उसकी निगाहें असहज करने लगीं। उन्होंने धीरे-धीरे उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों को बहाने से छूने की कोशिश की, जैसे यह उसका इलाज करने का तरीका हो। रिया को धीरे-धीरे यह सब कुछ बेहद अजीब और आपत्तिजनक लगने लगा।

एक समय ऐसा आया जब रिया को समझ आ गया कि डॉक्टर मनीष का व्यवहार सामान्य नहीं है। उसने तुरंत उठने का निर्णय लिया और दृढ़ आवाज में कहा, “खबरदार, डॉक्टर मनीष! अगर आपने मेरे साथ दुबारा ये बदतमीजी करने की कोशिश की तो, मैं आपके सारे स्टाफ, मरीजों और साथ ही आपके घर पर फोन करके, आपकी पत्नी को आपकी गिरी हुई हरकतों के बारे में बता दूंगी।” रिया की आवाज में सख्ती और आत्मविश्वास था, जिससे डॉक्टर थोड़े झिझक गए। लेकिन वह फिर भी यह मानने को तैयार नहीं थे कि उन्होंने कुछ गलत किया है। उन्होंने रिया को समझाने की कोशिश की, लेकिन रिया ने उसकी एक भी बात सुनने से इनकार कर दिया।

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रिया ने कहा, “मानसिक रूप से परेशान लोगों की मदद करना आपका काम है, पर आप तो मुझे स्वयं ही मानसिक रूप से बीमार लग रहे हैं। मैं यहां आपका बड़ा नाम सुनकर इलाज के लिए आई थी, लेकिन आपको लगा कि एक अकेली बीमार महिला को इलाज के नाम पर गलत तरीके से छू लेंगे। आपकी ये सोच बेहद गलतफहमी में है।”

रिया ने आगे जोड़ा, “पति के चले जाने के दुख ने मुझे भले ही कमजोर किया हो, लेकिन मर्द की अच्छी और बुरी नियत को पहचानना अभी भी मुझे अच्छी तरह आता है। अगर आपने कभी भी मेरी या किसी और महिला की मर्यादा को लांघने का सोचा भी, तो आपको अपनी करनी का परिणाम भुगतना पड़ेगा।”

रिया की यह बात सुनकर डॉक्टर पूरी तरह चुप हो गए। उनके पास रिया की दहाड़ सुनने के अलावा और कोई चारा नहीं था। रिया ने बिना किसी हिचक के स्पष्ट कर दिया कि वह अपने आत्म-सम्मान पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी, चाहे उसके सामने कोई भी हो।

रिया के ये शब्द कहते ही डॉक्टर का चेहरा सफेद पड़ गया और वह बुरी तरह असहज हो गए। एक क्षण के लिए रिया को देखकर डॉक्टर का आत्मविश्वास डगमगा गया। रिया ने दृढ़ता से अपनी बात कहकर वहां से निकलने का निर्णय किया। उसने अपनी ताकत और हिम्मत को फिर से पा लिया था, जैसे वह खुद को फिर से खड़ा होते देख रही हो। उसे अब समझ आ गया था कि वह किसी की भी मानसिक और शारीरिक शोषण का शिकार नहीं बनेगी, भले ही वह खुद को कितना भी कमजोर महसूस कर रही हो।

रिया के केबिन से बाहर निकलते ही क्लिनिक के बाहर बैठे मरीजों और स्टाफ ने उसे गौर से देखा। वह किसी शेरनी की तरह मजबूत और आत्मविश्वास से भरी हुई लग रही थी। उसने अपनी ही नहीं बल्कि हर उस महिला की आवाज को बुलंद किया था, जो मानसिक या शारीरिक रूप से शोषण का शिकार होने का खतरा महसूस करती है। वह जान गई थी कि भले ही वह दुखों से घिरी हो, लेकिन किसी को अपनी मर्यादा से बाहर जाने देने का हक किसी को नहीं दिया जा सकता।

इस घटना से उसने एक सीख हासिल की। उसने फैसला किया कि आगे से वह हर कदम सोच-समझकर उठाएगी और कभी भी किसी पर आंख मूंद कर विश्वास नहीं करेगी। उसका आत्म-सम्मान उसकी ताकत बन चुका था, और उसने यह तय कर लिया कि वह इस दुनिया में चाहे कितनी भी चुनौतियां आएं, किसी को भी अपने साथ गलत करने की अनुमति नहीं देगी।

मौलिक रचना 

कविता भड़ाना

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