सोच – ऋचा उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

 नमस्कार मुकुंद भैया!! अपनी रीना बिटिया के लिए कोई अच्छा रिश्ता बताइएगा ।आपकी रिश्तेदारी में तो सुना है बहुत अच्छे-अच्छे लड़के हैं।मंजू दी ने कहा।

    मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा ज़रूर मंजू दी ,बस आपको कैसा लड़का चाहिए ये बता दीजिए मैं ध्यान में रखूंगा।

  अरे भाई साहब हम मध्यमवर्गीय परिवार वाले ज्यादा नहीं सोचते। पर आपको तो पता है रीना हमारी दुलारी है

काम-धाम करने की आदत नहीं है उसे पढ़ाई-लिखाई से फुर्सत ही नहीं मिली ।मोटे आसामी हों,परिवार छोटा हो बस।

इकलौता लड़का हो तो और भी बढ़िया ।और अगर लड़के के माँ बाप की तस्वीर पर माला लटकी हो तो सोने पे सुहागा

जोर से हंसते हुए मंजू दीदी बोलीं। खास कर के लड़के की माँ न हो!! बाद में कोई खट पट नहीं चाहिए।

  और मैं दो जवान होते बेटों का बाप अवाक उनका मुँह देखता रह गया कि क्या बेटों की शादी होने तक हम दोनों को दुनिया छोड़ देनी चाहिए

खास कर मेरी सीधी सादी रेनू को। मंजू दी भी तो दो-दो बेटों की माँ हैं ये ऐसी सोच कैसे रख सकती हैं।

   कुछ दिनों बाद एक शादी में फिर मंजू दीदी से मुलाकात होने पर उन्होंने फिर अपनी दुलारी रीना की शादी की बात छेड़ी ।

मैं तो भरा बैठा था और बस शुरू हो गया । कि क्या बताऊँ दीदी मेरे बरेली वाले चाचा बड़ी मोटी पार्टी हैं।

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लड़का भी आई ए एस अफसर है बहुत सुंदर और इकलौता भी है पर लड़के के माँ बाप भी बिल्कुल आप वाली सोच के हैं।

   दीदी बिल्कुल लार टपकाते हुए बोलीं कि भाई साहब तो फिर देर किस बात की ,बात चला दीजिए

हमारी रीना भी इतनी पढ़ी लिखी और खूबसूरत है । दान-दहेज भी हम जम के देंगे।

     मैंने कहा हाँ हाँ दीदी! वो तो मुझे पता ही है कि रीना बिटिया कितनी प्यारी है ।पर चाचा-चाची जी चाहते हैं

लड़की चाहे सर्वगुण संपन्न न हो चलेगा, उन्हें दान दहेज़ भी नहीं चाहिए । पर वो कहते हैं

कि अगर उसकी माँ की तस्वीर पर माला लटकी हो तो वो तुरंत शादी के लिए तैयार हो जाएंगे उन्हें बाद में कोई खिट-पिट नहीं चाहिए

मैंने ज़ोर से ठहाका लगाते हुए कहा और इस बार अवाक होने की बारी मंजू दीदी की थी।

 ऋचा उपाध्याय

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