सासु माँ ससुर जी से कहिए सब्ज़ियाँ लाने को.. – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ सुनो जी तुम ना कल से बाज़ार जाकर सब्ज़ियाँ ले आया करो।” सुनंदा जी ने पति राजेश्वर जी से कहा

“ अम्मा यार अब इस उम्र में भी सब्ज़ी बाज़ार दौड़ाती फिरोगी…अब तो निकुंज को सब्ज़ी लाने की ज़िम्मेदारी दो।” राजेश्वर जी ने कहा

“ वो तो ला ही देता है पर आपको लाने में क्या आपत्ति है जरा बता दीजिए ?” सुनंदा जी कमर पर हाथ रख पूछने लगी

“ कोई आपत्ति नहीं है भाग्यवान.. बस सोचता था जब निकुंज की बीबी आ जाएगी.. वो रसोई सँभालने लगेगी मुझे इस झोले और सब्ज़ी मंडी से छुट्टी मिल जाएगी पर अब लगता ज़िन्दगी भर सब्ज़ी ही लाना होगा… लाओ दो झोला .. क्या क्या लाना बता दो।” राजेश्वर जी मायूस हो कर बोले

“ बहू जरा झोला और सब्ज़ी की लिस्ट पापा जी को दे दो।” सुनंदा जी ने बहू राशि से कहा

राशि झोला लिस्ट और पैसे ससुर जी को देते हुए बोली,“ पापा जी अच्छी सब्ज़ियाँ लाइएगा… निकुंज को जरा भी सब्ज़ी लेनी नहीं आती … कुछ की कुछ उठा लाते और ताजी भी नहीं होती।”

“ ठीक है बहू ।” कह राजेश्वर जी स्कूटर की चाभी निकालने लगे तो सुनंदा जी ने टोकते हुए कहा,“ यहीं पास में तो जाना है..ज़्यादा सब्ज़ियाँ नहीं है हाथ में लेकर अ सकते हो..पैदल ही जाओ।”

ये सुनकर राजेश्वर जी को बहुत ग़ुस्सा आया… क्या मजे से वो बैठ कर अख़बार पढ़कर और टीवी देख कर समय गुज़ारने का सोच रहे थे कहाँ ये सब्ज़ी मंडी जाने का फ़रमान जारी कर दिया गया

भुनभुनाते हुए राजेश्वर जी सब्ज़ी लेने चले गये

लगभग घंटे भर बाद वो सब्ज़ी ले कर आए..

राशि और सुनंदा जी सब्ज़ियाँ देख कर बहुत खुश हो रही थी…राजेश्वर जी चुन चुनकर सब्ज़ियाँ लेकर आए थे ।

“ वाह जी अभी भी आपमें हुनर बाकी है.. मैं तो समझी बुढ़ापे में सब्ज़ी लेना भूल ही गए होंगे ।” सुनंदा जी के कहने पर राजेश्वर जी उन्हें घूर कर देखे

“ सच में पापा जी…अब से आप ही हर दो दिन पर जाकर सब्ज़ियाँ ले आइएगा ।” राशि ने भी साथ ही साथ जोड़ दिया

“ तुम दोनों… निकुंज को क्यों नहीं कह सकती..ऑफिस से आते वक्त सब्ज़ियाँ लेते आए… मुझे परेशान करने में मजा आ रहा है सास बहू को।” ग़ुस्से में राजेश्वर जी ने कहा

“ ऐसा नहीं है जी वो लेकर आता तो था ही पर रात को ना ताजी मिलती ना अच्छी…बची खुची जो मिलता उठा लाता है पैसे भी लग जाते और वो काम ना आए तो फेंकने पड़ते… बस इसलिए आपको कह रहे हैं जी।” सुनंदा जी समझ रही थी राजेश्वर जी ग़ुस्सा हो रहे हैं वो राशि को देखने लगी

राशि ने इशारों में चुप रहने को कहा

“ बहू तेरे पापा जी ना पहले से ही कहते रहते थे रिटायरमेंट के बाद बस मजे करना है.. जो समय काम में निकाल दिया अब टीवी देखकर गुजारना है… पर अब उन्हें कुछ बताया तो और परेशान होंगे ।” सुनंदा जी मायूस हो बोली

“ माँ निकुंज ने कहा है ना .. पापा जी के स्वास्थ्य से समझौता नहीं करना है वो खुद तो कभी ना टहलने जाते ना योगा करते…अब कम से कम हर दो दिन पर सब्ज़ी मंडी तक पैदल जाएँगे तो टहलने की आदत बनेगी…फिर शायद खुद ही उन्हें अच्छा लगने लगे ।” राशि ने सुनंदा जी से कहा

“हाँ बहू समझ रही हूँ…पहले काम के चक्कर में शरीर पर ध्यान ना दिया और अब आराम के चक्कर में…. सब्ज़ी तो अब इन्हें ही लानी होगी ये तो तय रहा।” सुनंदा जी भी ढृढ़ स्वर में बोली

रसोई के बाहर पानी लेने आए राजेश्वर जी ये सब सुनकर दंग रह गए…

“ अच्छा मेरी सेहत के लिये सास बहू मिलकर इतने पापड़ बेल रही..अरे सीधे सीधे कह देती तो क्या बिगड़ जाता… कोई नहीं सुनंदा अब हर दिन सब्ज़ी मंडी घूम आऊँगा पर बहु वादा करो एक सब्ज़ी हर दिन मेरी पसंद का बनाओगी।” राजेश्वर जी ने कहा

“ सॉरी पापा जी… हम समझ नहीं पा रहे थे आपको कैसे कहें थोड़ा टहलने जाओ तो बस माँ ने कहा पापा जी सब्ज़ियाँ बड़ी अच्छी लाते थे तो बस हमने उसे ही ..।” राशि सिर झुकाए बोली

“ समझ रहा हूँ बहू तुम सब मेरी ही परवाह कर रहे थे ।” राजेश्वर जी ने कहा

सास बहू मन ही मन खुश हो रही थी चलो अब से सब्ज़ियाँ ताजी मिलेगी और ससुर जी की सेहत भी सुधरेगी ।

दोस्तों कई बार अपनों की परवाह करते हुए इस तरह से उन्हें काम पर लगाया जा सकता है ताकि आपको भी ताजी सब्ज़ियाँ मिले और उनकी सेहत भी बनी रहे।

धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

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