Moral stories in hindi : रात के दस बज रहे थे, अविनाश गीता को उसके घर छोड़कर वापस आ चुका था,”अम्मा! तुम्हें गीता पसंद आई की नहीं?” अविनाश घर के अंदर आकर कौशल्या देवी से लिपटते हुए बोला।”मेरे बेटे की पसंद को भला मैं कैसे नापसंद कर सकती हूं?” कौशल्या देवी अविनाश को दुलारते हुए बोली।
अविनाश खुशी से झूम रहा था मगर कौशल्या देवी के मन में अनगिनत सवाल उसे कटोच रहें थे,वह अपनी मनोदशा को नियंत्रित करते हुए अविनाश से गीता के बारे में कुछ नहीं बोली,ऐसा करके वह अविनाश को दुखी नहीं करना चाहती थी,वह अच्छी तरह जानती थी
कि उसका बेटा अविनाश अपनी मां के सम्मान के आगे हर वह चीज ठुकरा देगा जो उसे प्रिय हो, इसलिए उसने सोच विचार करके अपने बेटे को गीता के चुंगल से आजाद कराने के लिए और अपने घर को बचाने के लिए सही समय का इंतजार करना ही ठीक समझा,जिसके लिए उसे गीता और उसके परिवार की सच्चाई को जानने समझने की जरूरत थी।
अविनाश खाना खाकर अपने कमरे में सोने के लिए चला गया था, कमरे में कौशल्या देवी के साथ माया मौजूद थी,”माया तुम किसी ऐसे आदमी की तलाश करो,जो मुझे गीता के परिवार व उसकी जीवनशैली के बारे में सारी जानकारी एकत्र करके मुझे दें,इस काम को बहुत ही गोपनीयता से करना है,तुम्हारे लल्ला को इसकी भनक भी न लगने पाए,जितने भी पैसे खर्च हो मैं दूंगी”
कौशल्या देवी माया को समझाते हुए बोली।माया कुछ देर तक सोचती रही फिर बोली।”दीदी बस समझिए कि आपका काम हो गया,मैं ऐसे एक साहब को जानती हूं,वह जरुर हमारी मदद करेंगे,मैं कल उनसे मिलकर आपको बताऊंगी” कहते हुए माया कमरे से बाहर निकल गई।
सुबह के नौ बज रहे थे, अविनाश घर से बाहर निकल चुका था, कौशल्या देवी उत्सुकता से माया का इंतजार कर रही थीं, कुछ ही देर में माया अपने साथ किसी व्यक्ति को लेकर कौशल्या देवी के पास पहुंच चुकी थी। “दीदी यह विकास भैया है,आप की मदद करेंगे,मैंने इनसे सारी बातें बता दिया है ”
माया कौशल्या देवी को दिलासा देते हुए बोली। उस व्यक्ति ने कौशल्या देवी को सम्मान देते हुए अभिवादन किया और बोला। “माता जी!आप मुझे अपनी होने वाली बहूं और उसके घर का पता बताए,मैं पूरी कोशिश करूंगा कि उनके बारे में सारी जानकारी एकत्र करने की पूरी कोशिश करूंगा
” कौशल्या देवी को गीता का घर कहा है, इसके बारे में उसने अविनाश से कुछ भी नहीं पूछा था,”बेटा! मैं उसका घर कहा है यह नहीं जानती,बस इतना जानती हूं कि वह सपना कालोनी में कही रहती है ” कौशल्या देवी चिन्तित होते हुए बोली। “अच्छा माता जी!
गीता के पिता का नाम तो आपको पता होगा?” वह व्यक्ति कौशल्या देवी को देखते हुए बोला।”हा याद आया अविनाश ने बताया था, शैलेन्द्र नाम है उनका और वह प्रापर्टी का काम करते है” कौशल्या देवी माया की ओर देखते हुए बोली।”ठीक है माता जी मैं सब ढूंढ लूंगा आप बिल्कुल भी चिंता ना करें ” कहते हुए वह व्यक्ति उठकर खड़ा हो गया। “बेटा! यह लो और तुम पैसे कि चिंता मत करना” कौशल्या देवी पांच हजार रुपए के नोट उस व्यक्ति के हाथों में पकड़ाते हुए बोली।
” माता जी इसकी अभी कोई जरूरत नहीं है,माया आंटी ने मुझे सब कुछ बताया है,जब जरूरत होगी तो बता दूंगा ” वह व्यक्ति कौशल्या देवी का अभिवादन करके वहा से चला गया।, सुबह-शाम दोनों वक्त गीता उससे मिलने आती थी। “अम्मा! गीता के पापा जल्द ही हमारी शादी करना चाहते है,तुम दीदी और जीजा को बुला लो उनसे बात करने के लिए?”
कौशल्या देवी कुछ देर अविनाश को देखती रही,”बेटा”अगले महीने पितृपक्ष शुरू हो रहें हैं, ऐसे में अभी किसी भी प्रकार की जल्दबाजी ठीक नहीं है, तूं उनसे तीन महीने रूकने के लिए कह दें ” कौशल्या देवी अविनाश को समझाते हुए बोली।”ठीक है अम्मा!जैसा तुम कहोगी वैसा ही होगा” कहकर अविनाश अपने कमरे में चला गया।
दस दिन बाद उस व्यक्ति ने गीता के बारे में सारी जानकारी कौशल्या देवी को बताई जिसे जानकर कौशल्या देवी के होश उड़ गए उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि गीता की पहले भी शादी हो चुकी थी,वह शादी के एक महीने बाद ही ही अपने पति को छोड़कर अलग हो गई थी, काफी पैसा उसने अपने पिता के साथ मिलकर ससुराल वालों से वसूला था,
उसका कोई भाई बाहर नहीं पढ़ता था, बल्कि वह अपनी मां के साथ अपनी बहन और पिता से अलग रहता था,गीता के साथ रहने वाली उसकी मां नहीं थी, उसे उसके पिता शैलेन्द्र ने रखा हुआ था,जो कि एक नंबर का शराबी था, दोनों बाप-बेटी मिलकर लोगों का शिकार करते थे,इनके गलत कामों की वजह से ही गीता की मां अपने बेटे को लेकर अपने भाई के घर रहती थी,यह सब बातें जानकर कौशल्या देवी भय से कांप रही थी।
“दीदी! अब आपको बहुत हिम्मत से काम लेना होगा, वरना लल्ला का और आपका जीवन नर्क हो जाएगा ” माया कौशल्या देवी का हौसला अफजाई करते हुए बोली। “मगर माया! हम अविनाश की आंखों पर चढ़े पर्दे को कैसे हटाएंगे,वह तो गीता का दीवाना बन चुका है,यह सब कहकर हम उसे कैसे यकीन दिलाएंगे,
कही वह हमें ही न गलत समझने लगे ” कौशल्या देवी चिन्तित होते हुए बोली।”आप सही कहती है दीदी!उस चुड़ैल ने पहले से ही सारी तैयारी सोच समझकर किया है,हमे कुछ और ही सोचना होगा,गीता का मकसद सिर्फ पैसा और यह घर है,हम लल्ला को यह बात नहीं समझा पाएंगे इसके लिए हमें एक बार फिर विकास भैया की मदद लेनी पड़ेगी मैं उनसे बात करती हूं” कहते हुए माया और कौशल्या देवी गंभीर चिंता में डूब गई।
परख भाग 4
परख भाग 2
स्वरचित
माता प्रसाद दुबे