अहंकार रिश्तो का दुश्मन है – लतिका पल्लवी

भैया का फोन था,पर मैंने साफ साफ कह दिया कि आने का कोई सवाल ही नहीं है. बार बार पूछने पर अनिरुद्ध जी नें अपनी पत्नी कांति जी को बताया।आज इतने दिनों बाद किसलिए बुला रहे है? कांति जी नें जानना चाहा।छोड़ो हमें क्या करना है? जब जाना ही नहीं है तो आगे इस बात … Read more

रिश्ते अहंकार से नहीं त्याग और माफ़ी से टिकते हैं – दिव्या मिश्रा

सच्चा रिश्ता वही कहलाता है जिसमें अपनत्व की भावना हो कुछ गलतफहमियों के दस्तक देने पर भी उसमें कोई कड़वाहट न  फैले बल्कि वह अपने रिश्ते में मिठास बने रहने के लिए हर गलतफहमियों को भी नजरअंदाज कर देता है वहीं सच्चा रिश्ता होता है रिश्तों को अमीरी या ग़रीबी के तराजू में नहीं तौला … Read more

आग में घी डालना – प्रतिमा श्रीवास्तव

आग में घी डालना( लघुकथा) सासू मां को मैं फूटी आंख नहीं सुहाती थी। किसी तरह उनके दिल में जगह बनाना शुरू ही किया था कि छोटी ननद आकर मेरे खिलाफ भड़का दी थी। उस दिन मुझे बहुत दुख हुआ था कि बहू कितनी भी कोशिश कर ले ससुराल को अपना बनाने की लेकिन उसे … Read more

रिटायरमेंट का पैसा

रिटायरमेटं के समारोह के बाद जब अवधेश जी पत्नी के साथ घर आए तो , पड़ोस मे रहने वाले जगदीश जी और उनकी पत्नी अवधेश जी को बधाई देने आए ,और 1 शाल उढाकर रामायण ग्रंथ उनके हाथों में देकर बोले ,अवधेश जी अब तो बहुत काम कर  लिया अब आराम से जिंदगी बसर किजिए … Read more

रिटायरमेंट – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

यह क्या समृद्धि…! तुम पढ़ाई करने बैठ ई । घर के कामकाज कौन निपटाएगा..?? जाओ भाभी के साथ घर के काम करो।  रही बात पढ़ाई लिखाई की उसकी अब तुम कल्पना भी मत करो..!  तुमको जितना पढ़ना था, पढ़ लिया। अब घर- गृहस्ती संभालो। स्वास्तिक ने बहुत सख्त लहजे से कहा।  समृद्धि बोली- हम अभी … Read more

बद्दुआ – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

——————————          हम तो खुद ही तुमसे माफी मांगने आए हैं बहुरिया, बद्दुआ ना देना। अब तो परमात्मा ने तुम्हारी सुन ली, पुरानी बातों को मन से निकाल दो हम तो तुमसे  कुछ भी सिर्फ इसलिए ही कही कि तुम कुछ समझ लो। तुम कहां से इलाज कराया बता दो बहुरिया तुम्हारी ननद सुशीला को बालक … Read more

अधूरी डायरी – लतिका श्रीवास्तव

हैप्पी रिटायरमेंट डे प्रभात जी के उठते ही नमिता जी ने चाय की प्याली के साथ ताजा गुलाब पकड़ाते हुए कहा तो प्रभात जी मुस्कुरा उठे। धन्यवाद श्रीमती जी आज तो मेरा स्वतंत्रता दिवस है चाय का कप उठाते हुए कह उठे। हां आज ही बस ऑफिस जाना है आपको।आज तो आराम से जाइए ऑफिस … Read more

बेटी, बेटा एक समान – विमला गुगलानी

सुशीला रसोई में जल्दी जल्दी हाथ चला रही थी और कामवाली रेशमा को भी मन ही मन कोसे जा रही थी।जब भी घर में मेहमान आने हो, ये महारानी छुट्टी करके बैठ जाती है, और ये भी नहीं कि एक दिन पहले बता दे, सुबह ही फोन करेगी।     तभी कौशल जी रसोई में आए और … Read more

रिश्ते अहंकार से नहीं,त्याग और माफ़ी से टिकते हैं – मीनाक्षी

रिश्ते, प्यार और त्यागइतना अहंकार नहीं। यह अच्छा नहीं होता।इसी तरह की एक कहानी है आदेश की, जिसे अहंकार था।वो जो भी ऊँचे मुकाम पर था, अपनी बदौलत समझता था। उसे न पिता से मतलब था, न माँ से। इकलौता बेटा था। पिता ने कितनी मेहनत करके आदेश को पढ़ाया-लिखाया था। दिन-रात नौकरी करता। उसे … Read more

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