गौरैया और बिटिया – मंजू तिवारी

आज सुबह फोन उठाया तो पता चला आज गौरैया दिवस है। ठीक वैसे ही महिला दिवस आने पर कुछ दिन पहले फोन उठाने पर ही पता चला था कि आज महिला दिवस है। कुछ दिन पहले मेरा दिवस निकला अब तेरा दिवस मनाया जा रहा है। ठीक ही तो है। मुझे भी तो बचपन से … Read more

वीडियो कॉलिंग – मधु मिश्रा

त्रिपाठी जी की अकस्मात मौत से पूरा गाँव शोक में डूबा हुआ है , पूरा गाँव इसलिये क्योंकि वो अकेले होकर भी पूरे गाँव वालों से किसी न किसी रिश्ते में बंधे हुए थे..इतने मिलनसार के किसी का ब्याह हो या किसी का बच्चा होने वाला या फ़िर कोई घर बना रहा हो.. सारे काम … Read more

अमीर कौन ????? – मीनाक्षी सिंह

सरिता ,ये साड़ी तो शायद तूने  पिछली बार मोहित की शादी में भी पहनी थी ! अबकी बार नई  खरीदी नहीं क्या  ! और रिशी ने भी वहीं गरम कोट पहना हैँ ! बुरा मत मानना ,पर क्या अच्छा लगता हैँ कि दुबारा घर की शादी में वही पुरानी शादी वाले कपड़े पहन लो ! … Read more

डायरी – संगीता श्रीवास्तव

आंसू मेरे गालों को ही नहीं, हृदय को भी भिगो रहे थे। मैं मर्माहत थी। तुमने अच्छा नहीं किया। काश! तुम पहल किये‌ होते…. मुझे सब कुछ याद आने लगा। वह सामने वाली बर्थ पर था। मैं अपनी 2 साल की बेटी के साथ, पति के पास नौकरी पर जा रही थी। वह लगातार मुझे … Read more

मूक प्रेम – सीमा पण्ड्या

“देखो बन्टू ….मैं नहीं रखने वाली इस कुत्ते को घर में………. इस घर में या तो कुत्ता रहेगा या मैं समझे…”-मैंने कहा। “मम्मा प्लीज़  देखो न कितना छोटू सा प्यारा सा पपी है, रख लो न…. “बन्टु ने मुझे   मनाने की पुरज़ोर कोशिश की। “मना कर दिया ना……. बिल्कुल नहीं ,जाओ छोड़ कर आओ … Read more

परीक्षा वाली होली –  स्मिता टोके ‘पारिजात’

“मम्मी, हमें भी होली खेलने जाना है ।” ऋषभ और सौरभ, हमारे जुड़वाँ बेटे इसरार करने लगे ।  किसी भी माँ-बाप को जिस बात का डर लगता है, इस साल भी वही हुआ । धुलेंडी के दूसरे दिन ही बच्चों की एक्ज़ाम शुरू होनेवाली थीं । बच्चों की बात सुनकर मुझे उनपर और खुदपर तरस … Read more

बहुत रुलाया उसने  – उमा वर्मा

 माँ नहीं रही ।सुबह छह बजे चली गई ।स्वाती का फोन जब सुबह सुबह आया तो मीनू को काठ मार गया ।” यह क्या हो गया “? वह सिर पकड़ कर बैठ गयी ।जबसे उसने सुना था कि कंचन की हालत खराब है वह बेचैन हो गई थी ।बार बार उसके फोन पर मेसेज भेजने … Read more

सिलसिला – गीतांजलि गुप्ता

मंजूषा कुछ दिनों पहले ही हमारे पड़ोस वाले फ़्लैट में आई थी। पतली दुबली स्मार्ट दिखने वाली कुछ चालीस वर्ष की आयु होगी उसकी। परिवार के नाम पर वो और उसकी माँ ही थे। घर के बाहर एक कार खड़ी रहती पर वो उसे कभी कभार ही निकालती, तब जब माँ बेटी साथ में कहीं … Read more

असल हकदार – दर्शना जैन

स्कूल के वार्षिकोत्सव में स्कूल के होनहार व मेहनती बच्चों का सम्मान था। बच्चों की सूची में प्रशांत का भी नाम था। उसका नाम पुकारे जाने से पहले प्रिंसिपल ने उसके बारे में बताया,” विगत छ: वर्षों से प्रशांत हमारी स्कूल का छात्र है। बचपन में हुए एक हादसे में उसका दायाँ हाथ लगभग निष्क्रिय … Read more

इज्जत – उमा वर्मा

सुबह  सुबह मुहल्ले में चर्चा हो  रही थी ।वह जो कोने वाली मंदिर है न, उसमें एक लड़की आई है जिस पर माँ  आती हैं ।वह जो कुछ कहती है सब सच होता है ।सभी माँगने वाले की मुराद पूरी हो जाती है ।मुझे इन बातों पर जरा भी विश्वास नहीं था ।फिर भी सोचा … Read more

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