स्नेह का बंधन – खुशी : Moral Stories in Hindi

New Project 60

हम दो बहने थी अदिति और स्वरा जो अपने माता पिता के साथ रहती थीं। मां स्कूल में टीचर और पिताजी प्राइवेट नौकरी करते थे।पिताजी जरा दिमाग के गरम थे इसलिए नौकरी छोड़ पकड़ रहती थीं पर मां इतनी मेहनती थी कि स्कूल , ट्यूशन से घर चलाती यूं अभावों में पलते बढ़ते हम जवानी … Read more

स्नेह का बंधन – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

New Project 59

 14 वर्ष की अल्पायु में उसके सिर से पिता का साया उठ गया था। गरीबी इतनी कि 2 जून की रोटी की भी जुगाड़ नहीं। राजन….. जी हां यही नाम था उसका, परिस्थितियां बिल्कुल नाम के विपरीत, हौंसले यथा नाम। पिता की असमय मृत्यु ने अंदर तक झकझोर दिया था उसको, उसका बाल मन समझ … Read more

स्नेह का बंधन – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

New Project 58

“क्यों रूठी हो गुडिया?” “अभी तक बचपना गया नहीं तुम्हारा?” ” कह दिया, बहुत याद आ रही है आपकी। मिलने चले आओ।” ” नेहा, हमें भी तो तुम्हारी याद आती रहती है। तुम्हारी नई-नई शादी हुई है, ससुराल में मन रमाओ अब।” “जंवाई राजा समझदार है। सास ससुर चाहते हैं, तुम घर संभालो।” नेहा शादी … Read more

आओ भैया ! कुछ तुम कहो, कुछ मैं कहूँ – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

New Project 57

कितने बरस हो गए हमें एक साथ आराम से बैठ कर बातचीत किए हुए ! वह बचपन का सरल और निश्छल प्रेम, बात-बात पर झगड़ पड़ना ,एक दूसरे को मारने के लिए अंधाधुंध दौड़ पड़ना और बाबूजी को सामने पा कर शराफत से एकदम ठहर जाना, तुम्हारी किताबों को हाथ न लगाने की सख्त ताकीद … Read more

कांता बाई के केक की मिठास – मनु वाशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

New Project 56

लॉक डाउन के बाद कांता बाई का आज काम पर जाना हुआ। अंदर ही अंदर डर समाया हुआ था पता नहीं मालिक काम पर रखेंगे या नहीं। लेकिन कांता बाई को देखकर कोठी वाली मेमसाब की खुशी देखते ही बन रही थी, वो भी थक चुकी थी रोज काम करते हुए, सोच रही थी पता … Read more

स्नेह भरी टिकिया – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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हैलो…… बुलबुल का फोन….?  आज अचानक कैसे याद आ गई मेरी तुझे बुलबुल…..? अरे तूलिका… सुन ना ….तू मुझे अपने घर का एड्रेस बता ना जल्दी से…. या लोकेशन भेज…… क्या…..?  एड्रेस ….? लोकेशन  ?  पर तू है कहां….. और इतने हड़बड़ी में मेरा एड्रेस क्यों मांग रही है…? सब ठीक तो है ना…? हां … Read more

सुलोचना मां – गीतू महाजन’ : Moral Stories in Hindi

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सुबह से ही व्यस्त सुलोचना जी सारे कामों की निगरानी अच्छे से कर रही थी।बार-बार घड़ी की और देखते उनकी नज़र मेहमानों की लिस्ट पर भी बहुत बार घूम चुकी थी।’कैसे होगा सब’ यही सोचकर उनके हाथ और तेज़ी से कम कर रहे थे।हालांकि..बच्चे कई बार फोन पर कह चुके थे कि उनकी सारी तैयारी … Read more

“अगला जन्म किसने देखा?” – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

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जूही ने खिड़की के बाहर झाँकते हुए गहरी सांस ली। हल्की ठंडी हवा उसके चेहरे से टकराई, पर मन में उठते सवालों की गर्मी कम नहीं हुई। उसने मन ही मन सोचा—क्यों जन्मों की आस लगाए बैठे हैं हम? जब ये जीवन हमारे पास है, तो उसी में खुशियां क्यों न तलाशें? संबंधों की चमक … Read more

स्नेह का बंधन – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

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राधा और गुंजन का खून का रिश्ता नहीं था लेकिन ऐसा रिश्ता था जो हर किसी के मन में चाहत लाता था कि काश! गुंजन जैसी बेटी ईश्वर सबको देता। गुंजन राधा के घर काम करने वाली सेविका की बेटी थी। बेटे की चाहत में जब चौथी बेटी के रूप में गुंजन का जन्म हुआ … Read more

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