गाजर मूली समझना – प्रतिभा भारद्वाज ’प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

New Project 49

“अब क्या हुआ, अब क्यों रो रहे हो आप…निकाल लीजिए अपने बेटे के सभी अंग और बेच दीजिए अच्छी कीमतों पर…. आप तो बहुत होशियार सर्जन हैं…..कोई तकलीफ भी नहीं होगी आपको…. “अपने 10 वर्षीय बेटे के शव पर विलाप करती मधु चीख चीखकर अपने पति डॉ. मयंक से कह रही थी। उसका इकलौता बेटा … Read more

नियति का रंग – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 50

 देखो मनीष,कुसुम मेरी बहू है,पर जब वह वंश बढ़ाने में सक्षम नही है,मुझे पोता नही दे सकती,मां ही नही बन सकती तो कुछ तो सोचना पड़ेगा ना।वह घर मे रहे मुझे आपत्ति नही,पर तुझे दूसरा ब्याह करना ही पड़ेगा।समझ रहा है ना तू? मैं सब समझ रहा हूँ माँ, तुम्हारा आशय यह है कि जिस … Read more

नींव घर की – प्राची अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

New Project 55

शोभा शाम को सब्जी खरीदने के लिए बाजार गई होती है तभी उसकी मुलाकात उसकी एक पुरानी सहेली से होती है। दोनों सहेलियां बड़ी गर्म जोशी के साथ मिलती हैं। लगभग 10 साल हो गए होंगे, दोनों को एक दूसरे के बिना देखे हुए लेकिन देखते ही दोनों तुरंत पहचान लेती है। उसकी सहेली कोमल … Read more

गला काटना – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

New Project 48

सरिता बहु यदि तुम्हे इस घर में हिस्सा चाहिए तो जैसा मैं कहता हूं वैसा ही करो….. वरना छोटे को इसका आधा हिस्सा देकर तुम गांव के घर मे अपना हिस्सा ले लो। लेकिन याद रखो मैं तुम्हे कोई पैसा नही दे पाऊंगा यदि गांव के घर मे हिस्सा चाहिए तो वंही चलकर रहना पड़ेगा … Read more

गला काटना – डाॅक्टर संजु झा। : Moral Stories in Hindi

New Project 46

आँखें बंद कर बिस्तर पर औंधी लेटी शीला बहुत देर तक सोचती रही।आज की आँखों देखी घटना से वह हतप्रभ थी।उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी छोटी बहन मीना को दोषी माने या अपने पति अनिल को!जिस पति पर वह आँख मूँदकर भरोसा करती थी, जिस बहन को अपनी जान से ज्यादा … Read more

सहायिका – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

New Project 47

सीमा जी अपने पति राघव जी के साथ दिल्ली में रहती थी। उनका एक पुश्तैनी घर उज्जैन में भी था। साल भर में एक-दो बार घर की देखभाल और स्थान परिवर्तन के मद्देनजर नजर वे लोग उज्जैन आया करते थे। बहुत दिनों से घर बंद होने के कारण घर में गंदगी बहुत हो जाती थी। … Read more

ईश्वर दृष्टि – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 44

 आधुनिक व्यापारिक गुर सिखाते हुए शांतिशरण अपने पुत्र  हेमंत के साथ हरिद्वार पहुँचे।हर की पौड़ी पर भरपूर गंगा स्नान के बाद वही सामने मोहन पूरी वाले के यहां बाप बेटे हलवा पूरी का नाश्ता करने पहुँचे।पहले बेटा हेमंत ने आगे बढ़कर हलवा पूरी ली और एक ओर खड़ा होकर खाने लगा।उसके बाद में पिता शांतिशरण … Read more

झूठा-सच – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 43

माधवी होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही थी। कंप्यूटर साइंस के मास्टर डिग्री का फाइनल इयर चल रहा था।बेटी बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी,तो रमा जी(मां)और शंकर जी(पिता )ने उसे बाहर रहकर पढ़ने की आजादी दी थी।वैसे इससे पहले उनके खानदान की कोई भी बेटी घर से बाहर पढ़ने नहीं गई थी,पर रमा … Read more

दिन में तारे दिखाई देना – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

New Project 42

संजना जो एक मध्यम वर्गीय परिवार की लड़की हैं , और बहुत सुन्दर है।  संजना को बचपन से अपने गोरे रंग, ऊँचे क़द , लम्बे घने काले बाल और गहरी झील सी आँखों पर नाज़ रहा है।  संजना की खूबसूरती देखते ही बनती थी। संजना हर वक़्त अपनी खूबसूरती को निहारती रहती थी ,उसे सारा … Read more

सॉफ्ट टारगेट – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 41

विद्यासागर जी पुराने जमीदार थे।कभी उनकी तूती बोलती थी।शान शौकत तो थी ही,साथ ही विद्यासागर जी का रूवाब बेइंतिहा था।जिधर से निकल जाते थे,उधर ही उनकी रियाया सर झुका कर खड़ी हो जाती।इतना होने पर भी विद्यासागर जी रहम दिल थे,अपनी रियाया के प्रति हमदर्दी रखते थे। जमीदारी उन्मूलन के बाद सब रुतबा खत्म,बस मजदूरी … Read more

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