संवेदना का ताप – रश्मि वैभव गर्ग : Moral Stories in Hindi

New Project 42

तड़के ही निशा का फोन आया , कि दीदी आज मैं काम पर नहीं आ पाऊँगी , मुझे तेज़ बुखार आ रहा है… आप आज कैसे भी काम चला लो , मैं कल से अपनी बेटी को भेज दूँगी, आज उसका इम्तिहान है , इसलिए वो नहीं आ पायेगी । सुबह सुबह निशा के फ़ोन … Read more

टका सा मुंह ले कर रह जाना – खुशी : Moral Stories in Hindi

New Project 43

राधा एक गृहिणी थी और सुबह पति बच्चो के जाने के बाद आस पड़ोस में घुम कर दूसरे के घर में क्या चल रहा है इसकी टोह लेती थी।पहले पहल तो लोग हमदर्दी में और विश्वास से अपनी बाते बताते पर जब वही बाते उन्हें अपने बारे में नमक मिर्च लगी हुई सुनने को मिलती … Read more

टका सा मुँह लेकर रह जाना – रीतिका सोनाली : Moral Stories in Hindi

New Project 45

ससुर के वर्षगांठ की तैयारियों के बीच अचानक सुधा चिल्ला पड़ी। कर ही तो रही हूँ अब क्या चूल्हे में झोंक दूँ ख़ुद को और अपने बच्चे को ! दुध पिते बच्चे को छोड़कर सुधा रसोई का काम संभालने में लगी है तीन दिनों से। घर का अच्छा बेटा बनने के चक्कर में कैलाश सुधा … Read more

पर उपदेश कुशल बहु तेरे – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

New Project 50

कल फिर रात में बहू-बेटे के कमरे से आती झगड़ने की ऊंची आवाजों से वृद्ध सास-ससुर बुरी तरह से आहत थे। बार-बार समझाने के बावजूद बेटा कल देर रात फिर शराब पीकर घर आया था और ऊंची आवाज में अपनी पत्नी के साथ गाली-गलौज कर रहा था।  ऐसी स्थिति में हमेशा ही नशे में धुत्त … Read more

नाम – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 60

     दादी ने नितिन को बताया कि तेरे से खेलने के लिये घर में एक छोटी बहन आ गई है, सुनकर वो खुशी-से नाचने लगा।वो दादी से पूछा,” उसका क्या नाम रखेंगे दादी..।” नितिन की जिज्ञासा देखकर दादी मुस्कुरा दी।      छठी के बाद घर के सभी लोग बड़े हाॅल में जमा हुए।बड़े दिनों बाद घर में … Read more

टका सा मुँह लेकर रह जाना – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

New Project 59

    “क्या मम्मी! भाभी की दो साड़ियाँ ही तो ली हैं मैंने। भाभी को तो शादी में ससुराल और मायके दोनों ही तरफ़ से इतनी साड़ियाँ मिली है। अगर मैं दो-तीन साड़ियाँ ले भी लूँगी तो क्या ही फ़र्क पड़ जाएगा। आखिर यह मेरा मायका है, मेरा हक़ है।” तृषा ने तुनक कर कहा जो कि … Read more

दहन – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

New Project 35

    “बहू! मीता!” कमरे में बैठी मीता की सास दमयंती ने मीता को पुकारा।         “जी! आ रही हूँ, मम्मी।” साड़ी का आँचल कमर में खोंसती मीता ने रसोईघर से उत्तर दिया।          “आकर क्या करेगी? ग्यारह बज रहे हैं। अभी तक होली- पूजन के पकवान नहीं बने। बताओ तो ज़रा, कब होली पूजने जाएँगे हम? मुझे तो … Read more

” मुझ से शादी करोगी?” – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

New Project 41

बचपन का साथी सुहास जब भी पूछता, स्वाति मना कर देती। धीरे धीरे बडे हो गये वे। उसने स्वाति से प्यार-भरे अंदाज में पुछा, ” मेरी प्रिया बनोगी?” वह चुप रही। पता नहीं उसके मन क्या था। वह क्या चाहती थी? अपनी पढाई, करिअर बनाने व्यस्त पता ही नहीं चला, सुहास कब उससे दूर चला … Read more

खिचड़ी का मेलजोल – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

New Project 46

बैंड-बाजे के शोर में सुमिता जब ससुराल पहुँची, तो दरवाज़े पर उसकी अगवानी के लिए पूरा परिवार खड़ा था। आरती का थाल, फूलों की वर्षा, ढोल-नगाड़े… और सासू माँ का भावुक बयान— “अब ये घर तेरा ही है, बेटी!” लेकिन सुमिता को जल्दी ही समझ आ गया कि ‘तेरा ही है’ का असली मतलब यह … Read more

पैरों की धूल समझना – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

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रीता और रमन की शादी को पंद्रह साल हो गये थे । रीता की शिक्षा हिंदी मीडियम से हुई थी । जिस कारण उसको  अंग्रेजी बोलने में असुविधा होती थी । लेकिन हिंदी में उसकी पकड़ बहुत अच्छी थी ।रमन  रीता को” अपने पैरों की धूल समझता” था ।  बात बात पे गवार शब्द का … Read more

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