जीवन में उतार चढ़ाव – अमिता कुचया : Moral Stories in Hindi

New Project 78

 हर घर में मार्च अप्रैल के बाद गेहूं आते है, तो शीला ने सोचा चलो समय रहते गेहूं मंगा ले। नहीं तो समय कैसे निकल जाता है, पता ही नहीं चलता है।इस बार पड़ोसी  नीना की बेटी की शादी है, उनके यहां के फंगशन में बिजी हो जाऊंगी,और फिर मायके भी जाना है, तो क्यों … Read more

सामर्थ्य हीन – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

New Project 48

देखते-देखते एक साल बीत गया,अमित को गए।अगली अमावस्या में ही उनकी बरसी की तिथि निश्चित हुई है।बेटे की नौकरी लगी नहीं अभी।कार्यालयों में दौड़-धूप कर रहा है वह।अनुकंपा नियुक्ति के काम जल्दी नहीं होते। मालिनी ने पंडित जी से पूछकर सामान की लिस्ट बनवा ली।दोनों ननदों को भी फोन कर दिया था,महीने भर पहले ही।अपने … Read more

कर्मों का फल – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 49

  ” बहू..एक गिलास पानी तो दे देना…प्यास से मेरा गला सूख रहा है और हिचकी भी…।” जमुना जी ने अपनी बहू अनिता से कहा तो वो विफ़र पड़ी,” बस..हो गई आपकी नौटंकी शुरु.. मेरी सहेलियाँ आईं नहीं कि आप…।अब मैं अपनी सहेलियों को अटेंड करुँ या आपके नखरे उठाऊँ..।” अनिता ने गुस्से- से पानी का … Read more

“आत्मग्लानि” – मनीषा सिंह   : Moral Stories in Hindi

New Project 56

“नवीन जी  किरानी की नौकरी करते थे।  पत्नी सावित्री और दो बेटियां अंकिता और अवंतिका थी। भगवान की दया से बेटियां पढ़ाई और खेल दोनों में काफी होशियार थी–। दोनों स्कूल में हमेशा टॉप आया करतीं । “नवीन जी के घर में कुछ हो ना हो पर– बेटियों की “ट्रॉफीज और प्रमाण” पत्र जरूर रहते … Read more

यही जीवन का सच है। – दीपा माथुर  : Moral Stories in Hindi

New Project 63

पूरे मोहल्ले में चच्चा की अलग ही पहचान थी। आते जाते लोग नमस्कार चच्चा कैसे हो? बोलते ही चलते थे। चच्चा भी बड़े गुरुर से हाथ ऊपर कर कहते ” ऊपर वाले की मेहरबानी है “ वैसे चच्चा में कोई खास बात नही थी छोटा कद,बड़ी बड़ी आखें ,छोटी सी मूछ। पर उनके गुरुर का … Read more

अब भूगतो अपने कर्मों का फल- बीना शर्मा  : Moral Stories in Hindi

New Project 39

शकुंतला आंगन में बैठकर अखबार पढ़ रही थी की तभी उसका बेटा रवि आकर उसके पास बैठ गया और दुखी स्वर में बोला,”जिस संतान के नाम मैंने अपनी सारी दौलत  कर दी आज वहीं संतान  मुझे धोखा दे रही है खुद पर हर महीने  हजारों रूपये खर्च करता है और मुझे मेरी जरूरत के लिए … Read more

धोखा- श्वेता अग्रवाल  : Moral Stories in Hindi

New Project 44

“कमला, तुम जरा इन सब डोंगों को बाहर डाइनिंग टेबल पर रखो। मैं सबको बुलाकर लाती हूॅं। कमरे में घुसकर गप्पे लड़ा रहे होंगे।” यह कहकर राधा किचन से निकलकर जल्दी-जल्दी कमरे की ओर बढ़ने लगी। एक -एक करके उसने घर के सारे कमरे देख लिए लेकिन, उनका कोई अता-पता नहीं था। कहीं छत पर … Read more

जीवन का सच – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

New Project 57

 हर माँ की तरह माला को भी अपने बच्चों पर बहुत गर्व था। प्रभात जी से झगड़ा होने पर अक्सर इतरा कर बोलती, “मेरे बच्चे अपने पैरों पर खड़े हो जायेंगे तो मैं उनके साथ रहूंगी आपके साथ नहीं “ प्रभात जी बोलते,”देखता हूँ तुम्हारे बच्चे कितना करते है “   सुनते ही माला गर्व से … Read more

ये जीवन है… – लतिका श्रीवास्तव  : Moral Stories in Hindi

dadaji

मम्मी जी बहुत हुआ …अब आपके इतने कठिन काम करने के दिन गए …चलिए हम लोगों के साथ रहिए अब आराम से नाती पोतों का सुख लीजिए…. पारस की चहकती हुई आवाज से सुधा चौंक गई।गहराती शाम में वह अपनी बुटीक शॉप के शटर गिरा रही थी तभी पीछे से अपने दामाद की आवाज सुन … Read more

अस्तित्व – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

New Project 42

विद्या , तुझसे कुछ बात करनी है । आज  दोपहर को आएगी क्या?  —-शाम को ही आऊँगी । दोपहर में बड़ी गर्मी होती है फिर तुम लोग भी तो थोड़ा आराम करते हो उस समय , सुबह – शाम तो आने-जाने वाले होते हैं । रात के दस बजे तक कहाँ फ़ुरसत मिलती होगी…. —-तभी … Read more

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