स्वयंसिद्धा (भाग 2 – डॉ. पारुल अग्रवाल : Moral stories in hindi

अब भी वो अपने पति के साथ इतने बड़े महानगर में अकेली ही थी। बच्चे के साथ नौकरी करना बहुत मुश्किल हो रहा था। बच्चे की तबियत कभी भी खराब हो जाती वो कामवाली के सहारे अपने बच्चे को छोड़ना नहीं चाहती थी। उसने अपने घर और ससुराल दोनों जगह बात की पर उन लोगों … Read more

स्वयंसिद्धा (भाग 1) – डॉ. पारुल अग्रवाल : Moral stories in hindi

रोली आज की पढ़ी लिखी आत्मविश्वास से भरी हुई सुलझी हुई महिला थी। वो उन महिलाओं में से नहीं थी जो घर गृहस्थी के चक्कर में अपनेआपको भूल जाए और अपने पर बिल्कुल भी ध्यान ना दे। वो उन महिलाओं में से थी जो खुद अपना भाग्यविधाता बनने में विश्वास करती हैं। वो अपने घर,परिवार … Read more

ये घर तुम्हारा भी है – के कामेश्वरी : Moral stories in hindi

New Project 96

शिवानी बिना किसी नागा के हर रोज वाकिंग के लिए आती थी । सुबह छह बजे उन्हें देखते ही लोग अपनी घड़ी को चेक कर लेते थे । पार्क में कई लोगों को मालूम था कि शिवानी वकील है । शिवानी के ससुर शहर के जाने माने वकील थे । उनके पति विराट ने भी … Read more

खुशफहमी – शिव कुमारी शुक्ला : Moral stories in hindi

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कभी कभी मनुष्य बडी ही खुशफहमी में रहता -कि वही  कर्ताधर्ता है। उसने बिना एक पत्ता भी इधर से उधर नहीं होना चाहिए जो वह सोचता है वही सच है वाकी कि पूरे  परिवार में सोचने समझने की  औकात ही नहीं है। सागर जी एक नौकरी पेशा, सुखी गृहस्थ थे। वे दो वेटी व  एक … Read more

अब और नहीं (भाग 2) – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अब तक आपने पढ़ा कि ज्योति अपने बैग उठाकर घर छोड़कर जाने लगती है और उसका पति देवेंद्र जो स्वयं को भाग्य विधाता समझता है वह उसे अपने घमंड के कारण रोकता भी नहीं है।  अब आगे  ज्योति अपने दोनों बैग लेकर निकल गई। घर से निकलते ही उसे पड़ोस … Read more

बसंत को जाने नहीं देंगे! – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in hindi

New Project 56

रजिस्ट्रार ऑफिस से बाहर आते हुए शिखा, “दीप, आज हमारे प्यार को नाम मिल ही गया, अब हम एक दूसरे के साथ पूरी ज़िन्दगी बिताने की ओर बढ़ चले। विधाता ने हम‌ दोनों को एक-दूसरे के लिए ही बनाया है!” “शिखा, तुमने मेरा साथ पग-पग पर दिया, जब सभी  मुझे एक नाकारा अपाहिज समझ कर … Read more

समय का खेल निराला – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in hindi

New Project 57

ये भाग्य वाग्य सब फालतू बातें हैं निकम्मों के बहाने हैं मैं नहीं मानता ये सब मैं तो खुद अपनी तकदीर का मालिक हूं … परिमल जी ने सिगार का कश लेते हुए थोड़े दर्प से कहा तो और तो किसी की हिम्मत नही हुई कुछ कहने की लेकिन उनकी पत्नी मधु जी रोक नही … Read more

तुम स्वयं भाग्यविधाता हो – विभा गुप्ता : Moral Stories in hindi

New Project 58

” देखो कल्याणी….तुम्हारी बेटी को जितना पढ़ना था…हम पढ़ा चुके हैं…अब वह चुपचाप ब्याह करके अपने ससुराल चली जाये, यही सबके लिए अच्छा रहेगा…।” ज्ञानेश्वर बाबू ने कड़े शब्दों में अपने छोटे भाई की पत्नी से कहा।    ” लेकिन जेठ जी….मेरी स्वाति पहले अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती है…उसकी इच्छा है कि…।” सिर पर … Read more

सूझबूझ – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in hindi

New Project 59

सौम्या और राघव की शादी को चार वर्ष हो गए थे, किन्तु वे अभी तक संतान सुख से वंचित थे। अड़ोस-पड़ोस की महिलाएं उसकी सास शान्ति जी से पूछतीं बहू कब खुशखबरी सुना रही है ‌। शान्ति जी उदास हो कहतीं पता नहीं भाग्य में संतान सुख है भी या नहीं, कोई आसार ही नजर … Read more

भाग्य विधाता – माधुरी : Moral Stories in hindi

New Project 60

सुबह से रूपा का तीन बार फ़ोन आ चुका था।पिताजी प्लीज़ कुछ तो मदद कर दीजिए ,ताकि बिज़नेस को फिर से शुरू किया जा सके।।आप मदद नही करेंगे तो फिर कौन करेगा।मेरे परिवार पर इस समय बहुत बड़ी मुसीबत आन पड़ी है। सेठ जी ने झुंझलाकर सेठानी से कहा कि इसको कह दो यहाँ फ़ोन … Read more

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