परिवार की कद्र – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” निशि..रोज तो तुम्हारा अपनी पड़ोसिनों के साथ ही उठना-बैठना होता है..अभी तो माँ-पापा जी के पास बैठो…उनसे बातें करो..।” आनंद निशि पर चिल्लाया।तब निशि भी उसी लहज़े में बोली,” तुम्हारे माँ-पिताजी तो चार दिन रहकर चले जायेंगे…काम तो मेरे पड़ोसी ही आयेंगे ना..।”   ” पड़ोसी ही काम…तुम्हारा दिमाग तो ठीक..।” बात बढ़ती देख आनंद … Read more

प्रेम से सींचें रिश्ते – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

रामेश्वरी जी एक सीधी सादी, सुलझीं महिला थीं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थीं ‌ग्रामीण परिवेश में हमेशा रहीं थीं किन्तु उनकी सोच, समझने की शक्ति निराली थी। वे किसी भी समस्या से घबरातीं नहीं थीं, वल्कि समाधान सोचने में जुट जातीं। उनके इसी गुण ने उन्हें परिवार, मुहल्ले में एक अलग स्थान दिया था।जब भी … Read more

परिवार और पड़ोस का अंतर – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

“छोटी, सब्ज़ी और सलाद वगैरह सब तैयार हैं। ऐसा करते हैं कि तुम चपातियां बना दो, मैं सबको परोस देती हूं।” स्मृति ने प्यार से अपनी देवरानी मनीषा से कहा।  “वाह भाभी, कितनी चालाक हैं आप! ताकि मैं रसोई में खड़ी रहूं और बाहर आप सबको भ्रमित कर सकें कि खाना आपने बनाया है।” मनीषा … Read more

अपनों की पहचान – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“माँ ऽऽऽ” फोन पर बिलखती बेटी निशि की आवाज सुन सुनंदा जी घबरा गईं  कल तक तो सब कुछ ठीक ही था फिर अचानक रात को ऐसा क्या हो गया जो मेरी बेटी के हँसते खेलते परिवार को ग्रहण लग गया  “बेटा तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा बस तुम हिम्मत मत हारना … Read more

*नीरवता* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

    रात्रि की नीरवता में अचानक मोबाइल की घंटी बजना यकायक मन मे एक घबराहट पैदा कर देती है।मन मे शंका पैदा हो जाती है कि कोई बुरा समाचार तो नही सुनना पड़ेगा।ऐसे ही  देर रात में अंशुल के फोन पर घण्टी बजी तो उसने हड़बड़ाकर मोबाइल उठा लिया। उधर से मिश्रा जी बोल रहे थे।मिश्रा … Read more

पड़ोसी या परिवार? – एम. पी. सिंह : Moral Stories in Hindi

सुमित ओर उसकी बीवी डिफेंस कॉलोनी में रहते थे ओर दोनो काफी मिलनसार थे।कहने को तो उनका पूरा परिवार था, 2 भाई, 1 बहन और उनके बच्चे। उनका बेटा अतुल, उनकी बहू ओर उनकी बेटी। सुमित के दोनो भाई नोकरी करने दूसरे शहर चले गऐ ओर वही सैटल हो गए। बहन भी शादी दूसरे शहर … Read more

पड़ोसियों और परिवार में यही तो अंतर होता है बेटा – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

शादी के 10 साल बाद राहुल का जन्म हुआ था नितिन और सागरिका के यहाँ । दोनों फूले न समाए थे । दादी-दादा,नानी-नाना सबकी आँखों का तारा था राहुल । उसकी हर इच्छा कहते  ही पूरी कर दी जाती थी । राहुल के जन्म के दो साल बाद उसकी बहन नेहा भी आ गई थी … Read more

वक़्त पर अपने ही काम आते हैं पड़ोसी नहीं – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा  : Moral Stories in Hindi

प्राइवेट नौकरी में सब कुछ है पैसा है, रुतबा है, शोहरत है। अगर नहीं है तो बस समय और सुकून नहीं है। आदमी अपने ही घर में पड़ोसी सा हो जाता है। लेकिन किया भी क्या जा सकता है जिंदगी जीने के लिए घर की चौखट लांघ कर परदेसी बनना ही पड़ता है। आज के … Read more

पहला जन्मदिन – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

माँ, मैं इतवार को सुबह आ रही हूँ… वो पिछली बार कांता मौसी हरिद्वार से कुछ लाने के लिए कह रही थी …पूछकर बता देना , ले आऊँगी । मंगला ! सब ठीक है ना … यूँ अचानक?  सब ठीक है । क्या मैं आप सब से मिलने नहीं आ सकती ? धत्त ! तेरा … Read more

पड़ोसियों और परिवार में यही तो अंतर होता है बेटा – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

पूरा दिन तुम्हारी बीबी गाय भैंस गोबर घास के काम मे लगी रहती है एक मिनट कभी उसे आराम करते नही देखा। और छोटी वाली बस चार रोटियां बना दी या थोड़ी बहुत साफ सफाई कर दी भला ये भी कोई काम हुआ। कहना तो नही चाहती मगर तुम्हारी बीबी को नौकर बनाकर रखा है। … Read more