कभी नहीं… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

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गुस्से से पैर पटकती दामिनी… खुद से बड़बड़ाती… किचन में जाकर फटाफट सब्जियों पर छुरी पटक पटक कर… अपना गुस्सा निकालने लगी… जल्दी-जल्दी हाथ चलाते हुए… उसने कुकर में सारी सब्जियां डालकर सूप बनने को चढ़ा दिया…  बच्चों की तो कब से फरमाइश हो रखी थी… मशरूम की सब्जी और साथ में पूरी… सब बनाकर … Read more

पछतावे के आँसू.. – शीतल भार्गव : Moral Stories in Hindi

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रामू की आँखों से नींद कोसों दूर थी ,मन ही मन बहुत पछता रहा था कि काश उसने अपनी माँ की बात मानी होती यह सोच-सोच कर रोज ही रोता रहता । औरपुरानी बातें याद करने लगता ।एक छोटे से गाँव में रामू नाम का लड़का रहता था ।वह एक गरीब क़िसान का बेटा था … Read more

कलंकित रिश्ता – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

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संध्या ने चीखते हुए कहा..”बस कर अंशिका ! कुछ भी बोलती रहती है, जब देखो तब चाचू की शिकायत करती रहती है । एक तो तेरे चाचू नहीं हैं कोई ,ऊपर से ये पवन चाचू तेरे पापा के ममेरे भाई ! हमारे पड़ोसी होने के साथ – साथ तुम्हें पढ़ाने में भी कितनी मदद करते … Read more

माता बनी कुमाता – खुशी प्रजापति : Moral Stories in Hindi

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 किसी गाँव में एक महिला अपने दो पुत्रों के साथ रहती थी। उसके पुत्रों के नाम रोहित तथा शिवम थे। रोहित की आयु लगभग 8 वर्ष तथा शिवम की आयु लगभग 6 वर्ष की थी। उसका पति बाहर नौकरी करता था। रोहित के दादा-दादी भी उन्ही के साथ रहते थे। रोहित के दादा किसान थे। … Read more

“काश ! मैं भी स्वार्थी होती ” – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

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रिया आज बहुत उदास थी क्योंकि उसने सच्चे प्यार को जो ठुकरा दिया था।और करती भी क्या वो?जिम्मेदारियों के बोझ तले दबी हुई थी।घर में कमाने वाली वो अकेली ही तो थी।पिता के जाने के बाद छोटे भाई बहन और माँ की जिम्मेदारी उसके ही कंधों पे आन पड़ी थी।कैसे इन जिम्मेदारियों से मुँह मोड़कर … Read more

पछतावे के ऑंसू – श्वेता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

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स्नेहा जैसे ही तैयार होकर ब्रेकफास्ट टेबल पर पहुॅंची।वहाॅं अंशुल को ना देख उसने रामू काका से पूछा “काका,अंशुल ने ब्रेकफास्ट कर लिया।” “नहीं बिटिया, अंशुल बाबा तो अब तक उठे ही नहीं है।” “क्या! अब तक नहीं उठा। 9:00 बज रहे हैं। 10:00 बजे तो उसकी कोचिंग है। हद होती है, लापरवाही की। दिल्ली … Read more

चुप एकदम चुप — संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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चुप एकदम चुप…..! एक शब्द भी नहीं बोलोगी तुम किसी से इस विषय पर समझी……। अब जो करना है मैं करुँगी श्वेता ने कड़े शब्दों मे डांटने के लहजे में समझाते हुए  नौ वर्षीय बेटी महक से कहा……! पर क्यों माँ क्यों….?  मैं चुप क्यों रहूँ , मेरी गलती क्या है…..मैंने क्या किया है महक … Read more

पछतावे के आंसू – मंजू ओमर  : Moral Stories in Hindi

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शिवम् के पिता बचपन में ही एक एक्सीडेंट में गुजर गए थे ।शिवम् की मां सुजाता जी ने स्कूल में टीचर की नौकरी करके शिवम् को अकेले ही पाला था।और पढ़ा लिखा कर लायक बनाया था ।आज शिवम् किसी प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करता था।शिवम् अट्ठाइस का हो चुका था । सुजाता अब शिवम् की … Read more

रिश्तों में यूँ ही नहीं आती खटास – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

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आज सभी लोग अपने अपने घर को चले गए पीछे फिर से वही लोग रह गए जिनको कहीं जाना ही नहीं था पर सबकी विदाई करने के बाद भी मानसी को किसी भी बात का कोई मलाल नहीं था…. होता भी कैसे एक वक्त वो भी था जब वो बस पश्चाताप के आँसू बहाया करती … Read more

काश! उसकी बात मान लेती –   विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

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  हमेशा की तरह शाम को ठीक 5 बजे चाय का प्याला लेकर कृष्णा जी अपनी बालकनी में बैठी ही थी कि उनकी नज़र साथ वाले मकान के सामने खड़ी ट्रक पर गई।दो लोगों को ट्रक से सामान उतारते देखकर वो बड़ी खुश हुईं।चाय पीते हुए वो सोचने लगी कि नये पड़ोसी से कैसे परिचय किया … Read more

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