धैर्य रूपी कुआं

एक गांव में एक किसान रहता था। वह अपनी खेती को मन लगा के करता था एक बार उसने धान की फसल लगाई हुई थी धान की फसल जैसे ही बढ़कर तैयार हुई।  उसके बाद से बारिश होना ही बंद हो गया अब किसान का फसल पानी के बिना सूखने लगा। किसान परेशान हो गया कि अगर बारिश नहीं हुई तो उसकी सारी फसल सूख जाएगी और वह बर्बाद हो जाएगा उसने बनिए से भी जो कर्ज लिया है वह भी चुका नहीं पाएगा वह क्या करें उसे समझ नहीं आ रहा था।

किसान अगले दिन मदद की गुहार लगाने राजमहल चला गया और राजा से जाकर गुहार लगाई कि महाराज अगर हमारी खेतों में पानी का प्रबंध नहीं हुआ तो हमारी सारी फसल सूख जाएगी और हम बर्बाद हो जाएंगे और कहीं के भी नहीं रहेंगे।  राजा बोले कि देखो यह ईश्वरीय आपदा है अचानक से हम पानी कैसे पहुंचा सकते हैं नदी के द्वारा नहर बनाने में तो टाइम लगेगा।

तभी राजा के एक मंत्री ने किसान को सुझाया कि तुम अपने खेतों के पास में ही एक कुआं क्यो नहीं खोद  लेते हो और वहीं से पानी के द्वारा अपने खेतों की सिंचाई का प्रबंध कर लो। यह बात किसान को भी अच्छा लगा उसने वापस जाकर कुआं खोदने लगा।



किसान अपनी फसल सूखने के इतनी जल्दबाजी में था कि उसे लगता था कि जल्दी जमीन से पानी निकल आए वह क्या करता था कि थोड़ी गड्ढा खोदता  था पानी नहीं निकलता था दूसरा गड्ढा खोदता था फिर तीसरा गड्ढा खोदता, ऐसे करके किसान ने बहुत सारे गड्ढे खोद दी पर एक भी गड्ढे से पानी नहीं निकला।  

किसान दुबारा वापस राजमहल आया।  और राजा के से बोला कि मैंने कई सारे गड्ढे खोदे लेकिन कहीं पर भी पानी नहीं निकला।  राजा का मंत्री बोला कि ऐसे कैसे हो सकता है चलो मैं चल कर देखता हूं कुआं से पानी क्यों नहीं निकलेगा।  मंत्री जब किसान कर खेत पर पहुंचा तो उसने देखा है कि किसान ने छोटे छोटे कई सारे गड्ढे खोद रखे हैं।

 मंत्री किसान को देख कर हंसने लगा और बोला कि मेरे भाई तुमने जो इतने सारे गड्ढे खोद रखे हो इससे अच्छा तो तुम एक ही गड्ढा खोदे  होते तो अब तक तो तुम्हारी पानी निकल गया होता क्योंकि तुमने अपनी सारी ऊर्जा तो कई सारे गड्ढे खोदने में बेकार कर दी है।

दोस्तों हमारी जिंदगी में भी ऐसा ही होता है हम किसी भी काम में धैर्य नहीं रख पाते हैं और अपना काम बहुत जल्दी ही बदल देते हैं इसलिए हम अपनी जिंदगी में सक्सेस नहीं हो पाते हैं हमें चाहिए कि एक भी काम को धैर्य पूर्वक करें आप देखिए सफलता आपके कदम चूमेगी

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