समाधि (भाग-1) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

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इसी रविवार को  समाधि का बेटा अस्तित्व लेफ्टीनेंट की ट्रेनिंग के लिये जाने वाला है लेकिन उसके पहले उसको अपने बेटे से किया हुआ अपना वादा पूरा करना है। जाने के पहले समाधि को उसे उसके जीवन की सच्चाई बतानी है। उसे आज भी याद है वह दिन जब रक्तदान करके आये इन्टरमीडिएट के छात्र … Read more

मुक्ति (भाग-6) एवं (अंतिम भाग ) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

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” क्या मतलब ?” “मतलब तो तुम ही जानती हो शायद ! उन सब बातों का मतलब जो तुम्हारे लिये होती हैं। ऐसी बातें सब क्यों करते हैं तुम्हारे लिये ?” सारिका ने मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए कहा और मैं उस दृष्टि का सामना नही कर पाई। मैं दूसरे कमरे में जा के … Read more

मुक्ति (भाग-5) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

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मैं आगे बढ़ कर पीछे के रास्ते निकली और पड़ोस का पिछला दरवाजा खटखटाने लगी गाँवों के लिये तो उस समय आधी रात का समय था। एक अधेड़ उम्र की महिला ने दरवाजा खोला। मैने उन्हे देखते ही सारिका को उनके पैरों पर रख दिया। “चाची जिऊ ! एकर जिनगी बचाइ लें।” ” का भै … Read more

मुक्ति (भाग-4) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

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ससुराल में आने के बाद कभी-कभी ओसारे में बाबू जी को खाना देने आती थी। वो भी तब जब ये नही होते थे। वो मेरी आखिरी सीमा रेखा थी। लेकिन आज मुझे अपनी कोई भी सीमा रेखा नही याद थी। मैं नंगे पैर ही उधर दौड़ पड़ी जहाँ से गाँव भर की आवाजें आ रही … Read more

मुक्ति (भाग-3) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

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ये आवाज तो इनकी थी। मैने सारिका को जहाँ का तहाँ छोड़ा और दौड़ कर दरवाजा खोलते ही इनसे लिपट कर फिर उसी बेग से रोने लगी। ये कुछ भी समझने में असमर्थ थे। ऐसी स्थिति अब तक कभी नही हुई थी। इन्होने मुझे पकड़े हुए ही दरवाजा धीरे से लगाया और एक मजबूत रक्षक … Read more

मुक्ति (भाग-2) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

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कितनी सुंदर थी वो गोल भरा सा मुँह बड़ी सी काली.काली आँखें, घुँघराले बाल, मैं मुग्घ हो गई थी अपनी ही कृति पर। मुझे जीवन में खुश रहने का सहारा मिल गया था। मैं उसी को सोचती, उसी को जीती। मुझे नही पता, मेरे पति भी खुश थे या नही लेकिन कभी-कभी सारिका अकेले पड़ी … Read more

मुक्ति (भाग-1) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

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हास्पिटल के उस कमरे के बेड पर पड़ा वो शरीर जिसमें खून की बोतल चढ़ रही है, उसके शरीर के रोम-रोम में सुइयों का दर्द है। उसे कुछ भी नही याद। पिछली सुबह कब हुई थी, अगली शाम कब होगी! महीनों से उसे कुछ पता नही। वो सन्निपात के दौर में है। लेकिन एक चीज … Read more

अहमियत रिश्तों की (भाग-10) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

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अब आगे… सुबह का समय था … प्रथम सो रहा था … निहारिका रोते हुए  प्रथम के कमरे में आती है … और अंदर से दरवाजा बंद कर लेती है… प्रथम घबराकर उठ जाता है… निहारिका प्रथम के सीने से लग जाती है … प्रथम झटककर निहारिका को खुद से अलग  करता है … निहारिका  … Read more

अहमियत रिश्तों की (भाग-9) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

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अब आगे… निहारिका का फोन प्रथम  के पास आता  है … देवेश निहारिका को मार  रहा है… यह सुन प्रथम जल्दी ही अपने कमरे से बाहर निकल आता है… रात के 1:00 बज रहे थे… प्रथम समझ नहीं पा रहा था.. मैं क्या कर रहा हूं …?? क्यूँ कर रहा हूँ..?? कुछ भी हो.. बस … Read more

अहमियत रिश्तों की (भाग-8) – मीनाक्षी सिंह : Moral stories in hindi

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अब आगे… कविता अपने बाबा दीनानाथ जी का हाथ पकड़ अंदर वाले कमरे में आ गई… ऐसी का बात है गई लाली… तू  मोये  अंदर लेकर आई हैं … मेरा मन घबराए रहो है… बता तो सही… वो ना  बाऊजी प्रथम ,,जो लड़का है…ज़िसे भाभी ने देखा था मेरे साथ… मैं उसे पसंद करती हूं … Read more

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