जीवन का सवेरा (भाग -17 ) – आरती झा आद्या : Moral stories in hindi
“ये क्या है अंकल” .. आरुणि आश्चर्य से पूछती है। रोहित के पापा, आरुणि को संजीदगी से देखते हुए कहते हैं, “तुम खुद ही पढ़ो बेटा। अगर तुम्हारी हाँ होगी तभी बात आगे बढ़ेगी।” आरुणि के हाथों में पेपर्स होते हैं, जिनमें “जीवन का सवेरा” संस्था को सहारा देने और विस्तार करने की योजना विस्तार … Read more