मेरा घर – सुनीता संधु : Moral Stories in Hindi

New Project 87

अरी मीणा, किन ख्यालों में खोई हो। जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ और जल्दी खाना बनाओ। चांद निकलने वाला है। सुबह से करवा चौथ के व्रत के कारण हम भूखे हैं। अब तो खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा। पर तुम्हें क्या? सुबह से भरपेट खाया है। मजे हैं तुम्हारे। न व्रत रखना, ना भूखे रहना, थोड़ा … Read more

रिश्तों में सोने की चमक नहीं प्यार की चमक जरूरी है – कमलेश आहूजा  : Moral Stories in Hindi

New Project 72

सरिता के बहू बेटे की शादी की पहली सालगिरह थी उसने पूरे उत्साह और अपनी हैसियत के अनुसार सालगिरह मनाई।कुछ नजदीकी रिश्तेदारों व आस पड़ोस के लोगों को भी बुलाया था।खाना उनके बेटे नीरज ने बाहर से ऑर्डर कर दिया था।सरिता ने बेटे नीरज को पैंट-शर्ट व बहु रिया को साड़ी और शगुन तोहफे में … Read more

बासी बहू के लिए, और अच्छा उसे नसीब नहीं – रोनिता कुंडु   : Moral Stories in Hindi

New Project 98

मम्मी जी.. मैं खाना खाने बैठी हूं… खा लूं फिर आपकी दवाई देती हूं.. मनीषी ने कहा  जब तुम्हें पता ही होता है खाना खाने के बाद ही मुझे दवाई लेनी होती है… फिर पहले ही मुझे दवाई देकर क्यों नहीं खाने बैठी..? या फिर यूं कह लो आज पुलाव देखकर तुम्हारी जीभ सब्र नहीं … Read more

कड़वाहट – शनाया अहम्   : Moral Stories in Hindi

New Project 96

कभी कभी कुछ ऐसा हो जाता है कि मिठास से भरे रिश्तों में भी कड़वाहट आ जाती है और ये कड़वाहट रिश्तों को रिश्तों से दूर कर देती है।  ऐसा ही कुछ हुआ अंकिता और उसकी भाभी सुजाता के बीच।  अंकिता अपने माता पिता और बड़े भाई के साथ दिल्ली में रहती थी , परिवार … Read more

संदेह – विजय कुमार शर्मा   : Moral Stories in Hindi

New Project 97

 दिनेश मुंबई में रह कर सी.ए. की पढ़ाई कर रहा था।आज बहुत समय बाद वह घर जा रहा था। दिनेश ने घर में घुसते ही अपना बेग सोफ़े पर पटका और ग़ुस्से में दनदनाता सीधा माँ के कमरे में पहुँच गया। माँ शांति से आँखें मूँदे माला जप रही थी,उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी।आहट … Read more

आह ख़ाली नहीं जाती – करुणा मलिक   : Moral Stories in Hindi

New Project 63

देखो माँ जी , कहे देती हूँ कि अगर इसने मेरा कमरबंद नहीं दिया तो मैं अपने मायके वालों को बुलाऊँगी, फिर मत कहना कि उन्हें बीच में लाने की क्या ज़रूरत थी?  अब तू ही बता बहू , मैंने तेरे सामने ही कितनी बार कहा है सुशीला से कि सोने का कमरबंद सरला का … Read more

कड़वाहट – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

New Project 67 1

“कितनी बार कहा सुबह -सुबह लड़ा मत करो, पर नहीं तुम्हे कुछ समझ में आता नहीं “नितिन ऑफिस से आते ही मेघा पर बरस पड़ा। “सुबह की बात तो सुबह खत्म हो गई, अब क्यों गुस्सा हो रहे “मेघा ने हैरानी से पूछा।    “तुम्हारी वजह से मै ऑफिस देर से पहुंचा, मेरा प्रेजेंटेशन खराब हो … Read more

क्या बेटी हमेशा बोझ रहेगी ? – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

New Project 95

नलिनी एक टक घड़ी की तरफ देख रही थी और सोच रही थी समय का पहिया कहा किसी के लिए रुकता है आज तीन साल हो गए उसे ससुराल छोड़ मायके आए इन तीन सालों में रिश्तों के नए नए रंग देखे। जो भाई गर्व से उसे ससुराल से लाया था कि तेरा भाई अभी … Read more

कड़वाहट – माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 60

योगिनी हर रोज की तरह रसोई में अपने बच्चों व पति के लिए नाश्ता बना रही थी कि उसकी बेटी गौरी उछलती कूदती उसके पास आई और कहने लगी,मां देखो, चाची ने आज मेरा कितना अच्छा हेयर स्टाइल बनाया है।तुम तो हर रोज वही सीधी मांग निकाल कर दो चोटियां बना देती थी। क्लास में … Read more

रिश्तों की कड़वाहट – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

New Project 55

प्रेम प्यार से बने रिश्ते कभी कभी कड़वाहट की इस हद तक पहुंच जाते हैं कि एक पल भी साथ रहना मुश्किल हो जाता है। सुमेधा और सुमित के रिश्ते में भी आज इस कदर कड़वाहट आ गई है कि सुमेधा तो सुमित की शक्ल भी देखना नहीं चाहती  और न ही बात करना चाहती … Read more

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