क्यों अशांति फैलाते हो – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

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क्यों अशांति फैलाएं हुए हैं तुम लोग इस घर में कितनी शांति से जीवन बीत रहा था हम दोनों का जबसे तुमलोग आए हो रोज कुछ न कुछ बबाल मचा रहता है। मोहिनी जी आज बहू मुक्ता और बेटे अमित पर चिल्ला पड़ी।                 घर में मोहिनी जी और उनके पति राघवेन्द्र जी का हंसी खुशी … Read more

ऐसी भी क्या ग़लती! – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

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घर में अशांति मची हुई थी।सबके अपने अपने बोल थे। रीमा बुआ अलग मुंह फुलाकर बैठी हुई थी। उधर बड़ी चाची का पारा वैसे भी चढ़ा हुआ था। बाबाजी गुस्से में गर्म हुए जा रहे थे और अम्मा का तो कहना ही क्या!हाई बीपी की मरीज उसपर सबके तलवार उनके ही सिर पर लटक रहे … Read more

रिश्ते तकरार से नहीं प्यार से चलते हैं – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

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सुषमा अपनी सहेली मीरा के घर आई हुई थी।बड़े दिनों बाद दोनों मिली तो बातों का सिलसिला शुरू हो गया।तभी मीरा की बहु चाय नाश्ता लेकर आ गई पहले उसने सुषमा के पैर छुए फिर दोनों सहेलियों को चाय सर्व की।वो वहाँ ज्यादा देर रुकी नहीं चली गई शायद जल्दी में थी। सुषमा चुस्कियाँ लेकर … Read more

अशांति – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

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अविनाश को जैसे ही पता चला कि…. बाऊजी की तबीयत बिगड़ रही  है…. वह बिना सोचे समझे ,,जल्दी ही दौड़ पड़ा उन्हें देखने…. अपने बड़े भाई साहब देवेंद्र के यहां …. अंदर जाते ही जो नजारा देखा… उसे देख वो बुत बन गया…. बेचारे बाऊजी …. बाहर आंगन में खाट पर हाथ में बीजना (हाथों … Read more

अशांति – चम्पा कोठारी : Moral Stories in Hindi

New Project 43

सीमा ट्रेन से भोपाल  जा रही थी सेकेंड AC में उसकी बर्थ बुक थी अकेली ही जा रही थी इसलिए उसने आसपास नजर डाली सामने एक अकेले शख्स को बैठे देखा थोड़ी असहज हो रही थी। परंतु ट्रेन चलने से ठीक 10 मिनट पहले ही एक जवान दंपत्ति बदहवास से जल्दी-जल्दी ट्रेन में सवार हुआ … Read more

अड़चने – सीमा बत्रा : Moral Stories in Hindi

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सरिता ने जैसे ही अपना फ्लैट खोला तो अंधेरा पसरा हुआ था । रोज तो मंदिर वाले कमरे की लाइट जलती छोडकर जाती है। पर लगता है, आज जल्दी जल्दी में वो भी बंद कर दी थी । यही सोचते हुए सरिता ने अपने मोबाइल की टार्च जलाकर कमरे के कमरे के स्विच बोर्ड की … Read more

जिद – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

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मुझे भी किसी हिल स्टेशन पर घुमाने ले चलो मां की दस दिनों से जारी यह जिद समझ से परे थी।पता नहीं अचानक मां पर ये घूमने जाने का भूत कैसे सवार हो गया था लेकिन इस भूत भगाने के चक्कर में पिता जी के सारे तंत्र मंत्र बेकार हुए जा रहे थे। हमेशा की … Read more

अशांति की वजह कही मैं तो नहीं… – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

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“ क्या हुआ महेश बाबू..आज फिर से आपका  घर जाने का मन नहीं कर रहा है ?” पार्क में महेश जी को बैठे देख कर उसी अपार्टमेंट में रहने वाले नवल जी ने पूछा  “ क्या ही बताऊँ नवल बाबू… कितना लाचार हो गया हूँ हर दिन घर में अशांति फैली रहती है और इसकी … Read more

जीत – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

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” तुम्हें कुछ समझ में नहीं आता है क्या? कितनी देर से चिल्ला रहा हूं मैं, कहां ध्यान है? कितनी लापरवाह हो गई हो तुम, किसी चीज की कोई जिम्मेदारी तुम्हारी भी है? इतना भी नहीं बोल सकी? किस काम की हो आखिर?? तेजप्रताप जी बहुत तेज तेज चिल्ला रहे थे। इतने गुस्से में ,माथे … Read more

मन की अशांति – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

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माया जी शहर के अशांती भरे माहौल को छोड कर वापस अपने कस्बे जा रही थीं ।शहर की अशांति से तो निकल गई। किन्तु मन की अशांति से कैसे निकले। जो रह-रहकर मन में हूक मार रही थी। बेटे की बातों  ने हृदय छलनी कर दिया। यदि आज  बहू यह सब कहती तो शायद इतना … Read more

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