सुनो, सुन रहे हो न तुम ….? – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi
सुनो ! सुन रहे हो न तुम ? तुमसे ही कह रही हूं। मेरे अंदर का अनकहा दर्द अब सैलाब बनकर शब्दों के रूप में अनवरत बहने लगा है । मैंने तुम्हें बहुत रोका , लेकिन तुम नहीं रुके ! मानो दौड़ते रहना ही तुम्हारी नियति थी। वैसे एक सच कहूं ? यदि तुम चाहते … Read more