गर्दन ऐंठी रहना – डाॅक्टर संजु झा : Moral Stories in Hindi

New Project 59

प्राचीनकाल  में  घने जंगल में एक कुआँ था।उसमें बहुत सारे मेंढ़क अपने-अपने परिवार के साथ रहते थे।बस कुआँ भर ही उनकी दुनियाँ थी।उनमें से एक मेढ़क काफी मोटा-ताजा था।साथ में उसकी पत्नी और तीन बच्चे भी थे।कुआँ के सभी मेंढ़कों से मोटा होने के कारण वह मेंढ़क खुद को दुनियाँ का सबसे शक्तिशाली जीव समझता … Read more

सबका समय आता है.. – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

New Project 43

“अजी सच में गौरव भैया का प्रमोशन हो गया… कल तक तुम्हारे बराबर थे आज देखो तुम्हारे बॉस बन कर आए हैं…पहले भी ऐसालगता था मानो कितने बड़े ओहदे पर हो हमेशा गर्दन ऐंठी रखते थे ….अब तो वो क्या उसकी बीबी तनु भी गर्दन ऐंठ कर रहेगी।” निशिताने पति रितेश से कहा  “ हाँ … Read more

नाम डुबोना – स्नेह ज्योति : Moral Stories in Hindi

New Project 99

जोया और अर्सलान के निकाह को हुए कुछ ही समय हुआ था । लेकिन अर्सलान का देर से आना ,जोया को समय ना देना । ये सब बाते जोया को मजीद तकलीफ़ देने लगी । एक दिन जोया ने पूछ ही लिया । क्या बात हैं अर्सलान ?? तुम मुझसे इतने खिचे-खिचे क्यों रहते हो … Read more

* बुढ़ापे में मिला झटका * – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

New Project 87

  सेठ ताराचंद किराना के व्यापारी थे। छोटा सा गाँव था,और छोटी सी दुकान थी उनकी। ईमानदारी से दुकान चलाते थे और इज्जत से रहते थे। तीन बेटे थे उनके, दुलीचंद,माखन और सेवा राम। गाँव में सिर्फ आठवीं तक का स्कूल था, आगे की पढ़ाई के लिए शहर जाना पड़ता था। दुलीचंद और माखन ने आठवीं … Read more

नाम डुबोना – मोनिका रघुवंशी : Moral Stories in Hindi

New Project 44

सुना आपने, आपकी बड़ी बहुरिया क्या गुल खिला रही है आजकल। इस कुलक्षिनी ने तो हमारा नाम डुबोने की कसम ले रखी है….. ललिता अपने पति सोमेश जी से बोल रही थी। क्यों अब क्या कर दिया उस बेचारी ने…तुम्ही तो उसका जीना हराम किये देती हो। बड़ी दीदी ने आज छोटे तालाब के पास … Read more

दर्द का एहसास – रचना गुलाटी : Moral Stories in Hindi

New Project 34

” तुमने मेरी नाक कटवा कर रख दी। इज़्ज़त मिट्टी में मिलाकर रख दी। बस यही दिन देखना रह गया था। तुम्हें शर्म नहीं आई, यह सब करते हुए। अपने माता-पिता के अरमानों पर पानी फेर दिया। मेरा नाम डुबोकर तुम्हें चैन मिल गया होगा।” पिता जी गुस्से में संजीव को बोल रहे थे।     पर … Read more

खून के आँसू रुलाना – के कामेश्वरी

सुरेश चंद्र जी की मृत्यु की खबर पूरे फ़्लैट में आग की तरह फैल गई थी । सब की जुबान पर एक ही बात थी कि कितने अच्छे इन्सान थे । वे रोज़ मंदिर जाते थे । अपने जन्मदिन पर मंदिर के पुजारियों को कपड़े बाँटते थे और तो और ज़रूरतमंदों की सहायता करते थे,तभी … Read more

बस अब और खून के आंसू नहीं रुलायेगा तू बहू को  – मीनाक्षी सिंह

अंदर से जोर जोर से बहू के रोने की आवाज आ रही थी ,खिड़की से झांककर देखा रमेशजी (ससुर ) और मधुजी (सास ) ने तो गिड़गिड़ाने लगे -छोड़ दे बहू को नीरज (बेटा ) ! मर जायेगी वो और कितना मारेगा उसे बेल्ट से ! मधुजी सिस्कियां भरती हुई बोली ! माँ जी ,पापा … Read more

संस्कार – अंजू निगम

“माँ,आज ऊपर वाली आंटी ने फिर सारा कूड़ा हमारे घर के आगे कर दिया| मैं अभी जा सारा कूड़ा उनके घर के आगे फेंक आता हूँ|”प्रनव के स्वर में गुस्सा था|“फिर उनमें और तुम में क्या अंतर रहा|” ऐसा कह नेहा ने घर के आगे झांडू लगा सारा कूड़ा समेट दिया|प्रनव दसवीं कक्षा में है|पढ़ाई … Read more

तड़का – अंजू निगम

मैंने सास-ससूर दोनो को खाने पर बिठा दिया था| “हमे एक एक रोटी गरम दिया करो|ठंडी रोटी दाँतो से कटती नहीं|”सासूजी ने कहा|    मुझे भी इस बात का अहसास था और दोनो को गरम खाना ही मिले,इस बात का खास ध्यान रखती थी|   “बहू,सब्जी बहुत स्वाद बनी हैं|”ससूरजी ने कहा तो मेरा चेहरा खिल उठा| … Read more

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