बांह चढ़ाना – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi
“अरे अमन! आज लंच नहीं करना है क्या?” “लगता है आज घर से बहुत खा कर आया है!” “हां हां, कुंभकरण की तरह!” “इसलिए कुंभकरण की तरह घोड़े बेचकर सो रहा है!” अपने सहपाठियों की ये टिप्पणियां सुनकर अमन गुस्से में उठा और अपनी बांह चढ़ा ली। “मैं कुंभकरण हूं ना! अब दिखाता हूं तुम्हें … Read more