अपने अहंकार में रिश्तों का महत्व – सरोजनी सक्सेना : Moral Stories in Hindi

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मैं अपने परिवार में मां-बाप की लाडली बेटी थी ! मेरे पापा बिजनेसमैन है, घर में किसी भी चीज का अभाव नहीं था !मैं दोनों के प्यार में मगरूर रहती थी ! अपनी पढ़ाई में अपने दोस्तों में और नए-नए वेस्टर्न कपड़े पहनती, यही मेरा शौक था ! कभी मम्मी पापा से कहती बेटी है … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्व को भूल गई थी। – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

New Project 70

जैसे ही मोबाइल पर महेश नाम फ्लैश हुआ, तृप्ति ने झट से कॉल रिसीव किया, “भैया, कैसी हैं आस्था दीदी? ज्यादा तकलीफ में तो नहीं हैं?” “देख तृप्ति, तकलीफ तो है ही, किडनी डायलिसिस किया गया है। डॉक्टर ने कहा है कि जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट करना होगा। हम डोनर ढूंढ रहे हैं। पर तू … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्व को भूल गई थी। – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

New Project 77

 अजेय अपने दफ्तर से छुट्टी लेकर अपनी पत्नी स्नेहा दोनों बच्चे धीर व साची के साथ अपनी छोटी साली प्रतिमा की शादी में शामिल होने के लिए ससुराल पहुंँचा । वहांँ घर में दाखिल होते ही अजेय, उसकी पत्नी और बच्चों ने भव्या(सासु मांँ) का चरणस्पर्श किया। उसने हल्की मुस्कान बिखरते हुए खुश रहने का … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्व भूल गई थी ।। – अदिति सिंह : Moral Stories in Hindi

New Project 80

अहंकार एक दिन सबको ले  डूबती है रामु पढ़ा लिखा एक समझदार व्यक्ति था रामु के साथ भरा पूरा परिवार था रामु एक स्कूल में सिक्षक था  बचपन से ही जिद्दी किस्म का इंसान था वो जो भी ठान लेता था वही काम  करता था रामू को साफ सुथरी चीजें पसंद थी उसके अनुसार अगर … Read more

क्या खोया क्या पाया – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

New Project 88

आज मैं अपने अतीत की गलियों में घूम रही थी। बचपन से लेकर आज साठ वर्ष की आयु तक का सफर चलचित्र की भांति मेरे मानस पटल से गुजर रहा था।आज मैं सोचने को मजबूर थी कि मैंने जीवन में क्या खोया क्या पाया अपने अंहकार के वशीभूत होकर। मैं एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार की … Read more

मूल्यांकन – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

New Project 95

दीदी! बड़े भाई का फ़ोन आया था… बाबूजी के श्राद्ध के दिन मुझे पहुँचने को कह रहे थे । आप तो जानती है कि अब मुझसे तो वहाँ रात में रुका नहीं जाता , बड़ी मुश्किल होती है और हवन सुबह आठ बजे का रखवाया है…. साढ़े सात बजे तक तो हम उठते ही है, … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्व को भूल गई थी – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

New Project 96

“बेटा, तुम कब तक आओगे अब तो घर से ही ऑफिस का काम करना होता है तो यहीं आ जाओ….मेरी तबियत भी इन दिनों ऐसी ही चल रही है तो मुझे भी मधु का सहारा हो जाएगा….कामवालियों का सहारा था तो अब वो भी नहीं आ पा रहीं….” “नहीं मां, हम नहीं आ पाएंगे क्योंकि … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्त्व को भूल बैठी थी – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

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सुगंधी पति वेदांत से कह रही थी देखिए मैंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया है और खाली घर में बैठी हुई हूँ बच्चे स्कूल और आप ऑफिस चले जाते हैं तो मेरा समय कटना मुश्किल हो जाता है । वेदांत ने उसकी बात पर गौर किया और अपने दोस्त से बात करके एक चिटफ़ंड कंपनी में उसको … Read more

मैं अपने अहंकार के आगे रिश्तों का महत्व भूल गई – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

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“हलो टीना!रिनी बोल रही हूं!विकास एक हफ्ते को मुंबई ट्रेनिंग में जा रहे हैं!बड़ा मन है दो-चार दिन तुम्हारे साथ रहने का!तुम कहो तो मैं तुम्हारे पास आ जाऊं”? टीना ने अपने पति मुकेश को रिनी के आने के बारे में बताया तो उसने मुँह बनाकर जवाब दिया”बस तुम मिडिल क्लास लोगों के साथ यही … Read more

रिश्तों में अहंकार लाता अलगाव – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

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काव्या अभी बच्चों को पढ़ा कर क्लास से निकली ही थी कि उसके पति का फोन आ गया… अरे ये आज कैसे फोन कर दिए सोचते हुए उसने जैसे ही हैलो कहा… उसे सुन कर रोना आ गया …उसे पति की बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था अपनी तसल्ली के लिए खुद को … Read more

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