पत्नी की मौत के बाद कमलेश जी बिल्कुल टूट से गए थे उन्होंने सोचा था कि रिटायरमेंट के बाद वह पत्नी के साथ पूरे भारत की तीर्थ यात्रा करेंगे। नौकरी करते हुए अपनी पत्नी को वक्त नहीं दे पाए थे लेकिन वह अब अपना पूरा वक्त अपनी पत्नी को देंगे उनकी इच्छा थी कि वह पत्नी के साथ अपने पैतृक गांव चले जाएंगे और वहीं बाकी की जिंदगी बिताएंगे।
लेकिन कहा गया है कि ख्वाब तो होते ही है टूटने के लिए। रात में खाना खाकर कमलेश जी और उनकी पत्नी अच्छे से ही सोए थे लेकिन सुबह जब सो कर उठे तो सिर्फ कमलेश जी उठ पाए उनकी पत्नी इस दुनिया से रुखसत हो गई थी।
कमलेश जी के दोनों बेटे अपने पिता को बार-बार ढांढस बंधा रहे थे पापा आप चिंता मत कीजिए आप के दोनों बेटे हैं बहुए हैं पोते- पोतियाँ हैं। आपको किसी चीज की तकलीफ नहीं होगी।
पापा आपको तो पता है कि हर इंसान जो इस दुनिया में आया है उसे एक न एक दिन भगवान के घर जाना ही होता है। लेकिन कमलेश जी का मन मानने को तैयार नहीं था उनकी धर्मपत्नी सावित्री इस दुनिया को छोड़ कर चली गई है वह बार-बार मरी हुई अपनी पत्नी सावित्री के हाथ को छूते कभी चेहरे को छूते।
सारा जीवन उन्होंने ईमानदारी की नौकरी की बच्चों की पढ़ाई लिखाई बेटी की शादी के लिए पैसा जमा करते रहे पढ़ा लिखा कर बेटे को अफसर बना दिया लेकिन उन्होंने आज तक अपना घर नहीं बना सके पूरी जिंदगी किराए के मकान में ही गुजार दिया।
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आज कमलेश जी के कानों में अपनी पत्नी के कहे हुए स्वर बार-बार सुनाई दे रहे थे देखिएगा हमारे दोनों बेटे इतना संस्कारी हैं कि मेरे जाने के बाद भी आपको अपने भविष्य की चिंता करने की जरूरत नहीं होगी दोनों आपको राजा की तरह रखेंगे।
कमलेश जी की पत्नी को जब से पता चला था कि उन को कैंसर हुआ है तो समझ गई थी कि अब वह ज्यादा दिन जीने वाली नहीं है वह बार-बार अपने पति कमलेश जी को कहती थी मेरे जाने के बाद आपको कोई तकलीफ नहीं होगा।
सावित्री जी के तेरहवीं के बाद अब बेटे अपने अपने शहर जाने के लिए तैयार हो गए लेकिन अब सवाल यह था कि बाबू जी का क्या होगा बाबू जी किसके साथ रहेंगे पहले तो यह था मां जिंदा थी तो बाबूजी और मां रिटायरमेंट के बाद गांव चले जाएंगे। लेकिन अब बाबू जी अकेले गांव जाकर क्या करेंगे यह चिंता उनके दोनों बेटे को सता रही थी।
कमलेश जी के छोटे बेटे ने अपने बड़े भाई से कहा, “भैया आपको तो पता है कि मेरे पास सिर्फ 2 बीएचके फ्लैट है और एक कमरे में आपके भतीजे और भतीजी सोते हैं उनका एग्जाम भी नजदीक है बाबूजी जाएंगे तो उनको पढ़ाई में डिस्टर्ब होगा। इसीलिए पहला 1 साल आप अपने पास रखिए अगले साल मैं बाबूजी को अपने पास रख लूंगा।”
कमलेश जी का बड़ा बेटा राकेश अपने छोटे भाई विनोद से कहा, ” इसमें सोचने वाली कोई बात नहीं है बाबूजी के पेंशन में से तनख्वाह पर एक नौकर रख देते हैं और बाबूजी को अलग से खर्चे के लिए ₹5000 और दे देंगे और बाकी जो पेंशन के पैसे बचेंगे उनमें से हम दोनों आधा-आधा ले लेंगे।”
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दोनों भाइयों की बात कमलेश जी सुन रहे थे। उसके बाद उन्होंने ताली बजाते हुए कहा, “वाह बेटे वाह तुम्हारी मां कहां करती थी कि हमारे दोनों बेटे बहुत संस्कारी हैं मुझे किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होगी। लेकिन मुझे तो लगता है कि तुमने शिक्षा तो ग्रहण तो किया है क्योंकि तुम बड़े पद पर नियुक्त हो लेकिन तुम दोनों में संस्कार नहीं है।”
जब मैं कमाता हूं तब तो तुम दोनों को मुझे रखने में इतनी परेशानी हो रही है अगर मैं कमा नहीं रहा होता तब तो लगता है तुम दोनों मुझे इस घर से ही बाहर फेंक देते। और हां सुनो तुम दोनों कौन होते हो मेरे पेंशन के पैसे के हिसाब करने वाले मैं नौकर रखूँ या अकेले रहूं यह सब मुझ पर छोड़ दो तुम लोग बस यहां से चले जाओ। मेरे पेंशन के पैसे पर सिर्फ मेरा अधिकार है और मैं इसे जैसे चाहे खर्च करूंगा। पहले तो मैंने सोचा था हर महीने दोनों को पैसे भेजने के लिए लेकिन अब तुम्हें एक फूटी कौड़ी भी नहीं दूंगा।
तुम्हारी मां का सपना था अपना घर बनाने का उसके नाम से एक घर बनाऊंगा और उसी घर में एक छोटा सा स्कूल खोलूंगा और अपनी जिंदगी उसी स्कूल के सहारे काट दूंगा लेकिन तुम्हारे पास नहीं जाऊंगा।
कमलेश जी के दोनों बेटे आकर अपने बाबू जी से माफी मांगने लगे, “बाबू जी हमसे गलती हो गई हमें माफ कर दो। “
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कमलेश जी ने कहा, “बेटा मैं कौन होता हूं माफ करने वाला तुम लोग अपनी जिंदगी में खुश रहो और मुझे मेरी जिंदगी में खुश रहने दो।”
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अच्छा हुआ जो तुम्हारी मां तुम्हारा यह रूप देखने से पहले ही इस दुनिया से चली गई।
कमलेश जी के बेटे ने लाख बाबूजी को मनाने की कोशिश की कि उनके पास चल कर रहे लेकिन कमलेश जी ने निश्चय कर लिया था कि वह अपने बेटे के पास नहीं जाएंगे उन्होंने अपने बेटों से साफ साफ कह दिया था कि बेटे मैं सिर्फ नौकरी से रिटायर हुआ हूं जिंदगी से नहीं।